आंतरिक आरक्षण के लिए अगले दो महीने में रिपोर्ट पेश करेगा आयोग : सीएम सिद्दारमैया

बेंगलुरु, 31 अक्टूबर . कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि आंतरिक आरक्षण के लिए आयोग का गठन कांग्रेस सरकार की विलंब करने की रणनीति नहीं है. इस संबंध में आयोग अगले दो महीने में रिपोर्ट पेश करेगा.

सिद्दारमैया ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, “राज्य में आंतरिक आरक्षण की लगातार तीन दशकों की मांग के बाद मंत्रिमंडल ने अनुसूचित जातियों के भीतर आंतरिक आरक्षण के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है.”

उन्होंने दावा किया कि अनुसूचित जातियों के भीतर 101 उप-समूह हैं और सरकार ने सभी समूहों को विश्वास में लेते हुए आंतरिक आरक्षण को वैज्ञानिक रूप से लागू करने का फैसला किया है.

सिद्दारमैया ने कहा कि इस संबंध में जांच आयोग अधिनियम 1952 के अनुसार हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया जाएगा.

उन्होंने कहा, “कैबिनेट ने फैसला किया है कि आयोग को दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करनी होगी. जब तक अगला फैसला नहीं लिया जाता है, तब तक सरकार ने राज्य के नियंत्रण और अन्य श्रेणियों के तहत सिविल सेवाओं में सीधी भर्ती के लिए कोई नई अधिसूचना जारी नहीं करने का फैसला किया है.”

उन्होंने आगे कहा कि तेलंगाना सरकार ने भी आंतरिक आरक्षण लागू करने से संबंधित ऐसे ही एक आयोग का गठन किया है.

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, आंतरिक आरक्षण को लागू करने के लिए वैज्ञानिक रूप से पर्याप्त डेटा जरूरी है. राज्य सरकार ने इन आंकड़ों को इकट्ठा करने और उनका विश्लेषण करने के लिए आयोग गठित करने का फैसला किया है.

सिद्दारमैया ने आश्वासन दिया कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगी कि आयोग अपनी रिपोर्ट निर्धारित समय सीमा के अंदर ही पेश करे. जैसे ही रिपोर्ट आएगी, आंतरिक आरक्षण लागू करने के लिए कदम उठाए जाएंगे.

मुख्यमंत्री ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा था कि आंतरिक आरक्षण देना एक संवैधानिक कदम है. इसके मद्देनजर राज्य सरकार ने आंतरिक आरक्षण लागू करने का क्रांतिकारी फैसला किया है.”

उन्होंने आगे कहा, “सरकार ने आंतरिक आरक्षण को उचित तरीके, वैज्ञानिक रूप और बिना विवाद के लागू करने के लिए आयोग की स्थापना की है. यहां कोई देरी या समय बर्बाद करने की कोई रणनीति नहीं है. सरकार सामाजिक न्याय से समझौता किए बिना काम करेगी. सभी के विश्वास और भरोसे के साथ काम करेगी.”

कांग्रेस के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार ने हाल ही में आंतरिक आरक्षण लागू करने के बारे में घोषणा की थी और इसे एक ऐतिहासिक निर्णय बताया था. हालांकि, भाजपा ने इस निर्णय को लेकर सरकार की आलोचना की और कहा, “यह फैसला सिर्फ आगामी उपचुनावों में लाभ के लिए लिया गया है.”

एफएम/एकेजे