New Delhi, 25 जुलाई . कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा वीर सावरकर को लेकर दिए गए कथित आपत्तिजनक बयान के मामले में यूपी Government ने हलफनामा दाखिल किया है. यूपी Government ने अपने हलफनामे में कहा कि जांच से राहुल गांधी के बयानों की पुष्टि होती है, जो पूर्व नियोजित तरीके से नफरत फैलाने का संकेत देते हैं.
उत्तर प्रदेश Government ने Supreme court में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि राहुल गांधी के बयान जानबूझकर नफरत फैलाने के इरादे से दिए गए थे, जो अपराध की श्रेणी में आते हैं. Government ने शिकायतकर्ता नृपेंद्र पांडे के तर्क का समर्थन करते हुए कहा कि राहुल गांधी के कार्य समाज में नफरत और दुश्मनी फैलाने के इरादे से किए गए थे.
Government ने यह भी दलील दी कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश न्यायोचित और वैध है, इसलिए Supreme court को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.
हालांकि, राहुल गांधी ने वीर सावरकर को लेकर दिए आपत्तिजनक बयान के मामले में राहत के लिए Supreme court का रुख किया है. राहुल गांधी ने Supreme court में याचिका दायर कर Lucknow की निचली अदालत के समन और चल रही कार्यवाही को रद्द करने की मांग की है. उनकी दलील है कि उनके बयान को गलत संदर्भ में पेश किया गया है.
यह विवाद 2022 में राहुल गांधी की ‘India जोड़ो यात्रा’ के दौरान Maharashtra में दिए गए एक बयान से जुड़ा है. राहुल गांधी ने वीर सावरकर को ‘अंग्रेजों का नौकर’ बताया था और दावा किया था कि सावरकर ‘अंग्रेजों से पेंशन लेते थे.’
इस बयान पर आपत्ति जताते हुए वकील नृपेंद्र पांडे ने Lucknow की निचली अदालत में शिकायत दर्ज कराई थी. अदालत ने प्रथम दृष्टया भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153(ए) और 505 के तहत मामला दर्ज कर राहुल गांधी को समन जारी किया था.
पिछली सुनवाई में Supreme court ने राहुल गांधी के खिलाफ जारी समन पर अंतरिम रोक लगा दी थी, लेकिन उनके बयान को लेकर कड़ी फटकार लगाई थी. कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि अगर राहुल गांधी भविष्य में इस तरह के अपमानजनक बयान देंगे, तो वह स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई शुरू करेगा.
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