नई दिल्ली, 12 जनवरी . पहले और तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल में पता चला है कि एल्बेंडाजोल और आइवरमेक्टिन दवाओं के कॉम्बिनेशन की एक निश्चित खुराक आंतों में संक्रमण के खिलाफ बेहतर तरीके से काम कर सकती है.
चार प्रजातियों के परजीवी कृमि (एस्केरिस लम्ब्रिकॉइड्स, ट्राइक्यूरिस ट्राइक्यूरा, और हुकवर्म एनसाइलोस्टॉमा डुओडेनेल और नेकेटर अमेरिकनस) मिट्टी से संचारित हेल्मिंथियासिस (एसटीएच) के लिए जिम्मेदार हैं. ये परजीवी कृमि दूषित मिट्टी या पानी के संपर्क से फैलते हैं, जो बच्चों और प्रजनन आयु की महिलाओं के पोषण और स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं.
प्रतिष्ठित पत्रिका ‘द लैंसेट इन्फेक्शस डिजीज’ में प्रकाशित रैंडमाइज्ड क्लिनिकल ट्रायल के नतीजे, डब्ल्यूएचओ के 2021-2030 रोडमैप फॉर नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज में निर्धारित नियंत्रण लक्ष्यों को प्राप्त करने में स्थानिक देशों की मदद कर सकते हैं.
स्पेन में बार्सिलोना इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लोबल हेल्थ (आईएसग्लोबल) के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की अंतर्राष्ट्रीय टीम ने कहा, ”मिट्टी से फैलने वाले हेलमंथियासिस के उपचार में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.”
अध्ययन का उद्देश्य अफ्रीकी देशों इथियोपिया, केन्या और मोजाम्बिक में स्कूली बच्चों में टी ट्राइक्यूरा हुकवर्म और स्ट्रॉन्ग्लॉयड्स स्टर्कोरेलिस संक्रमण के उपचार के लिए एक संयुक्त टैबलेट की सुरक्षा और उसके प्रभाव का आकलन करना था.
इन संक्रमणों के विरुद्ध वर्तमान रणनीति में जोखिम ग्रस्त आबादी के लिए एल्बेंडाजोल के साथ नियमित कृमिनाशक उपचार, तथा जल, सफाई और स्वच्छता में सुधार शामिल है.
जनवरी 2022 और मार्च 2023 के बीच टीम ने 1,001 प्रतिभागियों (46 प्रतिशत महिलाएं और 54 प्रतिशत पुरुष) पर परीक्षण किए. लगभग 64 प्रतिशत प्रतिभागी टी ट्राइक्यूरा से, 36 प्रतिशत हुकवर्म से और 10 प्रतिशत एस स्टर्कोरेलिस से संक्रमित थे. कुल 1,001 प्रतिभागियों में से नौ प्रतिशत में एक से अधिक संक्रमण था और उन्हें प्रत्येक संक्रमित प्रजाति के विश्लेषण में शामिल किया गया था.
इनमें 243 प्रतिभागियों को एल्बेंडाजोल, 381 को एल्बेंडाजोल (400 एमजी) और आइवरमेक्टिन (9 एमजी या 18 एमजी) के कॉम्बिनेशन का एक फिक्स डोज और 377 को इस कॉम्बिनेशन के तीन डोज दिए गए.
दूसरे और तीसरे चरणों में शामिल प्रतिभागियों में संक्रमण के लक्षण आम थे यानी हल्के से मध्यम तक थे. हालांकि कॉम्बिनेशन डोज लेने वाले मरीज 48 घंटे के भीतर ठीक हो गए.
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एमकेएस/एकेजे