लखनऊ, 3 दिसंबर . उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिव्यांग शब्द और भावनाओं को सम्मान देकर उन्हें गरिमापूर्ण तरीके से जीवन और हर क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा प्रदान की. दिव्यांगजनों को जब भी अवसर मिला तो अपनी प्रतिभा से उन्होंने इस शब्द की पुष्टि की. सीएम योगी ने ऋषि अष्टावक्र, महाकवि सूरदास, भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग, जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य समेत अनेक उदाहरण दिए.
उन्होंने कहा कि जिन्हें भी मंच और समाज का प्रोत्साहन-संबल मिला तो उन्होंने देश-दुनिया और मानवता को अपनी प्रतिभा का लाभ दिया और यह साबित किया कि वे किसी से कम नहीं हैं. ‘विश्व दिव्यांग दिवस’ इसी दृष्टिकोण को अपनाने के लिए समाज को नई प्रेरणा प्रदान करने का माध्यम है.
सीएम योगी ने ‘विश्व दिव्यांग दिवस’ पर मंगलवार को लोकभवन में राज्य स्तरीय पुरस्कार वितरण समारोह को संबोधित किया. राजकीय स्पर्श बालिका विद्यालय मोहान रोड की छात्राओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया. उन्होंने बच्चों की प्रस्तुति की सराहना की और प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती (राष्ट्रीय अधिवक्ता दिवस) की भी शुभकामना दी. उन्होंने कहा कि सरकार समाज के हर तबके के लिए कार्य करते हुए पीएम मोदी के विजन ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र के साथ बढ़ रही है.
उन्होंने कहा कि राज्य के अंदर दो-दो दिव्यांग विश्वविद्यालय (लखनऊ में डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय और चित्रकूट में जगद्गुरु रामभद्राचार्य विश्वविद्यालय) है. अलग-अलग क्षेत्रों में दृष्टिबाधित, मूक बधिर व अन्य बच्चों के लिए भी कॉलेज संचालित हैं, लेकिन इनकी संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है. इसमें प्रशिक्षित शिक्षक हों, उन्हें अच्छा मानदेय, सुविधाएं, प्रशिक्षण मिले और तकनीक से सक्षम बनाया जाए. इस पर और कार्य करने की आवश्यकता है.
सीएम योगी ने कहा कि कार्य करने की इच्छाशक्ति होनी चाहिए, फंड बाधा नहीं है. यदि चुपचाप तैयारी करेंगे तो रिजल्ट प्रतिभा को प्रदर्शित कर देगा. 2017 में प्रदेश में केवल 7-8 लाख दिव्यांगजनों को पेंशन मिलती थी, वह भी महज 300-300 रुपये. यह राशि छह महीने में आती थी तो आधा पैसा बाबू खा जाता था, लेकिन हम लोग सीधे लाभार्थी के खाते में धनराशि भेजते हैं. हमने यह राशि 300 रुपये से बढ़ाकर एक हजार रुपये की. अब 11 लाख दिव्यांगजन 12 हजार रुपये वार्षिक पेंशन का लाभ प्राप्त कर रहे हैं. तीन हजार रुपये मासिक कुष्ठावस्था पेंशन पीड़ित व्यक्ति के परिवार को उपलब्ध कराते हैं. यह भी तय किया गया कि इन परिवारों को पीएम/सीएम आवास भी देंगे.
उन्होंने कहा कि राजकीय सेवाओं में दिव्यांगों के लिए 4 फीसदी आरक्षण की भी व्यवस्था है. कानपुर देहात के रामचंद्र गुप्ता की चर्चा करते हुए सीएम योगी ने कहा कि दिव्यांग होने के बावजूद वे स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता के मॉडल हैं. अपने माध्यम से बच्चों के लिए बड़ा केंद्र का संचालन करते हैं. इससे साबित होता है कि इच्छाशक्ति होगी तो बड़े से बड़ा कार्य किया जा सकता है. दिव्यांगजनों की प्रतिभा व ऊर्जा का सबसे अच्छा उदाहरण पेरिस पैरालंपिक रहा, जिसमें शानदार प्रदर्शन से मेडल की झड़ी लग गई थी.
सीएम योगी ने कहा कि सरकारी भवनों व संस्थाओं से कहा गया है कि दिव्यांगजनों के लिए रैंप बनवाएं. परिवहन निगम की बसों में दिव्यांगों की निःशुल्क यात्रा के लिए 40 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है. शादी-विवाह के लिए (40 फीसदी वाले दंपती) पति के दिव्यांग होने पर 15 हजार, पत्नी के लिए 20 हजार व दोनों के दिव्यांग होने पर 35 हजार रुपये की सहायता उपलब्ध कराते हैं. दुकान निर्माण के लिए 20 हजार व दुकान, गुमटी, हाथ ठेला संचालन के लिए 10 हजार रुपये अनुदान दिया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से दिव्यांगजनों के लिए अनेक कार्यक्रम चल रहे हैं. विभिन्न प्रकार की सर्जरी के लिए अनुदान राशि 8 हजार से बढ़ाकर 10 हजार रुपये की गई है. कृत्रिम अंग वितरण, मूकबधिर बच्चों के कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी के लिए छह लाख रुपये तक की राशि दी गई है. प्रदेश में इस वर्ष 24 सर्जरी हुई है. सरकार प्रदेश में तमाम संस्थाओं के संचालन में भी मदद कर रही है. प्री प्राइमरी से लेकर ‘बचपन डे केयर्स’ स्थापना के साथ ही मेरठ, बरेली व गोरखपुर में मानसिक मंदित आश्रय गृह सह प्रशिक्षण केंद्र संचालित हैं.
सीएम योगी ने कहा कि पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग से जुड़े अनेक कार्यक्रमों को सरकार ने बढ़ाया. 2016-17 में विभाग को 1,295 करोड़ बजट दिया जाता था, अब यह राशि लगभग 2,800 करोड़ रुपये हो गई. इसमें 116 प्रतिशत की वृद्धि की गई. 2016-17 में पूर्वदशम छात्रवृत्ति योजना के लिए 107 करोड़ बजट आवंटित था, इससे 5.19 लाख छात्र-छात्राएं लाभान्वित होती थी. अब बजट 160.16 करोड़ किया गया है, जिससे 7.58 लाख विद्यार्थी लाभ ले रहे हैं.
उन्होंने बताया कि पिछड़ा वर्ग से जुड़े छात्रों की छात्रवृत्ति के लिए 300 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है. 2016-17 में 983 करोड़ की लागत से 13.64 लाख बच्चे दशमोत्तर छात्रवृत्ति का लाभ प्राप्त करते थे. उस समय केवल 11.13 लाख छात्रों को शुल्क प्रतिपूर्ति का लाभ दिया जाता था. अब 2,070 करोड़ रुपये से 19.80 लाख छात्र-छात्राओं को दशमोत्तर छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति का लाभ मिल रहा है यानी 2016-17 की तुलना में आज 1,100 करोड़ रुपये अतिरिक्त दशमोत्तर छात्रों को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति का लाभ दे रहे हैं. इससे 7 लाख अतिरिक्त बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं. 2016-17 में अनुदान राशि 141 करोड़ रुपये से 70 हजार बेटियों को लाभ प्राप्त हो पाया था. इस समय 200 करोड़ रुपये की लागत से एक लाख बेटियों को लाभान्वित किया जा रहा है.
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एसके/एबीएम