New Delhi, 23 अगस्त . दिल्ली की Chief Minister रेखा गुप्ता ने अपने विरोधियों को बड़ा संदेश दिया है. उन्होंने कहा कि वह किसी भी असुरी शक्ति से डरने वाली नहीं हैं. Chief Minister रेखा गुप्ता Saturday को श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (एसआरसीसी) के वार्षिक दिवस समारोह को संबोधित कर रही थीं.
अपनी व्यक्तिगत यात्रा साझा करते हुए, सीएम रेखा गुप्ता ने दिल्ली विश्वविद्यालय में एक छात्र नेता के रूप में अपने दिनों को याद किया. उन्होंने कहा, “मुझे तूफानों से जूझने की आदत है. जब मैं डूसू प्रेसिडेंट थी, तो एक बार एक विरोध प्रदर्शन के दौरान पुतला फूंकते समय एक समझदार व्यक्ति ने केरोसिन की जगह पेट्रोल डाल दिया था, जिसके कारण मेरा चेहरा जल गया. मुझे एक-डेढ़ महीने इस हालात से गुजरना पड़ा था.”
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम रेखा गुप्ता ने आगे कहा, “छोटी उम्र में भी, मेरा मानना था कि आगे बढ़ते रहना चाहिए. आज दिल्ली की जनता की शक्ति और आशीर्वाद से मैं चुनौतियों का साहस के साथ सामना कर रही हूं.” उन्होंने खुद को शक्तियों का अंबार बताते हुए कहा कि मैं किसी भी असुरी शक्ति से डरने वाली नहीं हूं.
Chief Minister ने कहा, “जब तक दिल्ली को उसके अधिकार नहीं मिल जाते, मैं लगातार संघर्ष करती रहूंगी. न डरूंगी, न थकूंगी और न ही हार मानूंगी.” उन्होंने यह भी कहा कि अपने ऊपर हुए हमले के बावजूद उनकी हिम्मत और संकल्प पहले से और मजबूत हुए हैं.
श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (एसआरसीसी) ने Saturday को अपना 99वां वार्षिकोत्सव मनाया. कार्यक्रम की मुख्य अतिथि दिल्ली की Chief Minister रेखा गुप्ता रहीं. रेखा गुप्ता अपने ऊपर हुए हमले के बाद सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल हुईं. उन्होंने कॉलेज का शताब्दी लोगो लॉन्च किया. इस मौके पर सीएम ने Prime Minister Narendra Modi के विकसित India विजन पर बल देते हुए कहा कि देश और दिल्ली को बेहतर बनाने में हर नागरिक की जिम्मेदारी है. उन्होंने छात्रों से राष्ट्रनिर्माण में सक्रिय भागीदारी की अपील की.
Chief Minister रेखा गुप्ता ने social media प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “एसआरसीसी के 99वें वार्षिकोत्सव पर परिसर में शिक्षकों और छात्रों से संवाद का अवसर मिला. सभी विजेताओं और प्रतिभागियों को ढेरों शुभकामनाएं. एशिया के सर्वश्रेष्ठ कॉमर्स कॉलेज का यह गौरवशाली सफर हम सबके लिए गर्व का विषय है. कॉलेज जीवन की यादें सचमुच सुनहरी होती हैं. चाहे जीवन में हम कितनी भी ऊंचाइयां क्यों न छू लें, वे दिन हमेशा मन में ताजा रहते हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा रही हूं, इसलिए यह वातावरण मुझे अपने ही पुराने दिनों में लौटा ले गया.”
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डीसीएच/