रांची, 19 जून . झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को सिकल सेल से पीड़ित लोगों के साथ संवाद किया. मुख्यमंत्री ने उनकी परेशानियां सुनीं और भरोसा दिलाया कि इस स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित लोगों की मदद के लिए सरकार हरसंभव कदम उठाएगी.
यह संवाद कार्यक्रम यूनिसेफ की पहल पर आयोजित किया गया था, जिसमें राज्य के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी भी मौजूद रहे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे राज्य में सिकल सेल पीड़ितों की संख्या आनुपातिक तौर पर ज्यादा है. इसकी निरंतर स्क्रीनिंग और उपचार से हम इस चुनौती का सामना कर सकते हैं. इसके लिए राज्य में स्वास्थ्य विभाग की ओर से अभियान चलाया जा रहा है. सिकल सेल पीड़ितों की स्क्रीनिंग, मॉनिटरिंग, जागरूकता और काउंसलिंग निरंतर जारी रखी जाएगी. पीड़ितों के स्वास्थ्य के साथ-साथ शिक्षा के लिए भी सरकार की ओर से मदद दी जाएगी.
उल्लेखनीय है कि झारखंड देश के उन 17 राज्यों में है, जहां सिकल सेल से पीड़ित लोगों की संख्या आनुपातिक तौर पर सबसे ज्यादा है. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में इसे जनजातीय आबादी की बड़ी स्वास्थ्य समस्या के रूप में चिन्हित किया गया है.
इस आनुवंशिक बीमारी से पीड़ितों की पहचान के लिए वर्ल्ड सिकल सेल डे (19 जून) पर पूरे राज्य में स्पेशल स्क्रीनिंग कैंपेन शुरू किया गया है. राज्य के सभी स्वास्थ्य केंद्रों और जिला अस्पतालों में कैंप लगाए जा रहे हैं. कैंपों में लोगों को सिकल सेल के कारणों, दुष्प्रभावों और इससे बचाव एवं इलाज के तरीकों की जानकारी भी दी जाएगी.
सिकल सेल के मरीजों की पहचान के लिए 2016 से शुरू हुए अभियान के तहत सैंपल सर्वे के आधार पर माना गया है कि झारखंड में करीब पांच फीसदी आबादी सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित हो सकती है. जनजातीय आबादी में इसका प्रसार सबसे ज्यादा है.
अनुमान है कि करीब 12 फीसदी जनजातीय आबादी इससे प्रभावित हो सकती है. सिकल सेल एक आनुवांशिक रक्त रोग है, जो मरीज के पूरे जीवन चक्र को प्रभावित करती है. यह बीमारी शारीरिक विकास में कमी, फेफड़े, हृदय, किडनी, आंख, हड्डियों और मस्तिष्क को प्रभावित करती है. वहीं, कई लोगों को असहनीय दर्द भी देती है.
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एसएनसी/एबीएम/डीएससी