रायपुर, 1 अक्टूबर . देश भर में स्वच्छता पखवाड़ा जारी है. इसके तहत विभिन्न स्थानों पर स्वच्छता कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए स्वच्छता दीदियों, स्वयंसेवकों और अन्य कर्मचारियों की ओर से कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. जिले में स्कूल के बच्चों को भी स्वच्छता की शपथ दिलाई गई है.
ने ‘प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत मिशन’ के अंतर्गत नियुक्त स्वच्छता दीदियों से बात करके यह जानने की कोशिश कि किस तरह वे हर जगह जाकर लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करती हैं और स्वच्छ भारत अभियान के बाद गांव और शहर का स्वरूप कैसे और कितना बदला है.
स्वच्छता दीदी कृष्णा अग्रवाल कहती हैं, “स्वच्छ भारत मिशन लॉन्च होने से पहले गांव से लेकर शहरों तक लोग सड़क के किनारे कचरा डालते थे, लेकिन अब लोग स्वच्छता गाड़ियों में ही कचरा डालते हैं. इन गाड़ियों में दो प्रकार के कूड़ेदान होते हैं, एक में गीला कचरा और दूसरे में सूखा कचरा डाला जाता है. इस मिशन के बाद देश में स्वच्छता की लहर आई है.
स्वच्छता दीदी उर्वशी वैष्णव बताती हैं, “स्वच्छ भारत मिशन के लॉन्च होने के बाद देश में स्वच्छता की एक हवा चली है. लोग कचरा गाड़ी में ही डालते हैं. इस मिशन के आने के बाद बहुत बदलाव हुआ है. पहले पूरे देश में शौचालय नहीं होने के कारण सड़कों के किनारे बहुत गंदगी रहती थी. इससे लोगों को तकलीफ होती थी, खासकर महिलाओं को. अब पूरे देश में शौचालय बन गए हैं, तो सबको बहुत सहूलियत हो गई है.”
स्वच्छता दीदी उत्तरा टोडर कहती हैं, “इस मिशन से पूरा देश स्वच्छ हुआ है. शौचालय बनने से महिलाओं को गंभीर बीमारियों से राहत मिली है.”
मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर रुपाली राउत कहती हैं, “पहले स्वच्छता पर उतना जोर नहीं होने के कारण लोगों में फंगल इंफेक्शन समेत कई बीमारियां होती थी. अब, इन मामलों में काफी गिरावट आई है. वहीं, राज्य सरकार ने मोबाइल मेडिकल यूनिट सेवा शुरू की है, जो लोगों के घर-घर जाकर सहायता प्रदान करती है. इसके तहत लोगों को घर पर ही इलाज मिल रहा है, जिससे उन्हें बहुत सुविधा हुई है.”
डॉ. आकांक्षा सिंह बताती हैं, “इस योजना के बाद देश का वातावरण बहुत शुद्ध हुआ है. बहुत सी बीमारियां कम हो गई हैं, खासकर छोटे बच्चों में डायरिया और संक्रमण जनित रोगों में बहुत कमी आई है.”
ग्यारहवीं की छात्रा धनाश्री साहू ने स्वच्छता पर बात करते हुए कहा, “पहले हमें स्कूल में शौचालय की दिक्कत होती थी, लेकिन शौचालय की संख्या बढ़ने के बाद सभी बच्चे नियमित रूप से स्कूल आ रहे हैं.”
ग्यारहवीं की ही छात्रा भारती बताती हैं, “शौचालय नहीं होने के कारण पहले लड़कियों को पीरियड्स में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता था, अब यह स्थिति नहीं है.”
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पीएसएम/एबीएम