पूर्वी कांगो में सरकारी सैनिकों व विद्रोहियों के बीच झड़प

किंशासा, 2 अगस्त . पूर्वी लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो (डीआरसी) में दो विद्रोही समूहों, मार्च 23 मूवमेंट (एम23) और एलाइड डेमोक्रेटिक फोर्सेस (एडीएफ) और सरकारी सैनिकों के बीच लड़ाई तेज हो गई है. इससे आम नागरिकों को खतरे का सामना करना पड़ रहा है.

पूर्वी उत्तरी किवु प्रांत के गांव कैंटीन में, जून की शुरुआत में एडीएफ विद्रोहियों द्वारा लगभग 100 ग्रामीणों का नरसंहार किया गया था. इस पर डीआरसी सेना ने जवाबी कार्रवाई का संकल्प लिया था.

डीआरसी सशस्त्र बलों के डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ जैक्स यचलीगोंज़ा नदुरु ने कैंटीन से समाचार एजेंसी शिन्हुआ को बताया, “हमारे सैनिकों के लिए चुनौतियां बहुत हैं, लेकिन हम इस युद्ध को जीतने जा रहे हैं.”

युगांडा में 1990 के दशक में स्थापित एडीएफ को युगांडा की सेना ने हरा दिया था. लेकिन इसके सदस्य पूर्वी डीआरसी में सक्रिय रहे हैं. एडीएफ ने 2017 में इस्लामिक स्टेट से अपनी संबद्धता की घोषणा की.

2021 के अंत से, युगांडा और कांगो की सेनाओं ने पूर्वी डीआरसी में एडीएफ विद्रोहियों के खिलाफ संयुक्त अभियान शुरू किया.

कांगो की सेना की एडीएफ के खिलाफ लड़ाई 2016 में तब शुरू हुई, जब सरकारी सैनिक बेनी क्षेत्र के जंगल में अंदर कैंटीन गांव तक चले गए.

जून के प्रारंभ से ही एडीएफ विद्रोही सरकारी बलों द्वारा नियंत्रित क्षेत्रों में पहुंच रहे हैं. डीआरसी सेना और संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन द्वारा मई में देश में एक संयुक्त अभियान शुरू किया गया था.

समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक हाल ही में बेनी की यात्रा करने वाली डीआरसी के संचालन और खुफिया के प्रभारी नदुरु ने कहा कि हम आम नागरिकों की चिंता से अवगत हैं. उन्हें समुचित सुरक्षा प्रदान की जाएगी. उन्होंने जनता को अपनी सेना पर भरोसा करने के लिए कहा.

एडीएफ विद्रोहियों के अलावा पूर्वी डीआरसी में लोगों को एम23 के लड़ाकों का भी सामना करना पड़ता है. एम23 के लड़ाकों ने उत्तरी किवु के लुबेरो क्षेत्र में कई शहरों पर कब्जा कर लिया है, जहां एडीएफ भी सक्रिय है.

बेनी और आसपास के क्षेत्रों सरकारी सैनिक एडीएफ और एम23 विद्रोहियों की दोहरी चुनौती से जूझ रहे हैं.

नाम न बताने की शर्त पर एक निवासी ने एजेंसी को बताया, “हमारे सैनिक देश भर में, खासकर उत्तरी किवु में, कई सालों से विभिन्न अभियानों में लगे हुए हैं, हमे एम 23 विद्रोहियों के आगे बढ़ने से चिंतित हैं.

कैंटीन निवासी मुंबेरे पास्कल ने कहा, “हमें डर है कि अगर एम23 विद्रोहियों के आगे बढ़ने पर यहां तैनात सरकारी सैनिक उनसे मुकाबला करने के लिए बुलाए जा सकते हैं. इससे यहां फिर से एडीएफ का खतरा बढ़ जाएगा.”

समाचार एजेंसी शिन्हुआ द्वारा एम23 और एडीएफ के बीच संभावित मिलीभगत के बारे में पूछे जाने पर सरकारी सेना के अधिकारियों ने कहा कि अभी इसकी पुष्टि नहीं की सकती.

विद्रोहियों के खिलाफ ऑपरेशन में शामिल एक सैन्य अधिकारी ने कहा, “क्षेत्र में घटनाओं की समानता और अनुक्रम हमारे लिए अभी भी अजीब है.”

“ऐसे समय में जब हम लुबेरो क्षेत्र में कन्याबायोंगा की ओर एम23 विद्रोहियों के आगे बढ़ने का सामना कर रहे थे, तो एडीएफ ने भी नागरिकों पर हमला शुरू कर दिया.”

उन्होंने कहा, “इससे इन हमलों के समय के बारे में कई सवाल उठते हैं.”

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने संबंधित पक्षोंं युद्धविराम का आह्वान किया है.

डीआरसी सरकार ने जोर देकर कहा है कि बातचीत से समाधान निकाला जाना चाहिए.

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