नई दिल्ली, 10 दिसंबर . विश्व मानवाधिकार दिवस पर मंगलवार को सिविल सोसाइटी के सदस्यों ने दिल्ली में बांग्लादेश उच्चायोग के समीप विरोध मार्च किया. यह विरोध मार्च बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में था. इस मार्च में साध्वी ऋतंभरा, इस्काॅन के केशव मुरारी, इंडिया सेंट्रल एशिया फाउंडेशन के निदेशक रमाकांत द्विवेदी, दिल्ली पुलिस के पूर्व आयुक्त एसएन. श्रीवास्तव, बांग्लादेश में भारत की पूर्व उच्चायुक्त वीणा सिकरी, बौद्ध धर्मगुरु राहुल भंते, सांसद, पूर्व न्यायाधीश एवं वरिष्ठ अधिवक्ता शामिल हुए.
इस संबंध में सिविल सोसाइटी ऑफ दिल्ली द्वारा बांग्लादेश उच्चायुक्त को एक ज्ञापन भी सौंपा गया. ज्ञापन में याद दिलाया गया कि भारत एवं बांग्लादेश के मजबूत सौहार्दपूर्ण संबंध रहे हैं. भारत के लोग बांग्लादेश की स्वतंत्रता की लड़ाई के साथ एकजुटता में खड़े रहे. 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान, भारतीय सैनिकों ने बांग्लादेशी लोगों के साथ मिलकर लड़ाई लड़ी और पाकिस्तान की हिंसा, शोषण और नरसंहार से बांग्लादेश को मुक्त करने के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया.
सिविल सोसाइटी ऑफ दिल्ली के सदस्यों का कहना है कि सरकार के संरक्षण में इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा बांग्लादेश में हिंदुओं, बौद्ध, ईसाई तथा अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों पर लगातार अत्याचार हो रहे हैं. मानवाधिकार का हनन हो रहा है. इसके विरोध में सिविल सोसाइटी ऑफ दिल्ली तथा 200 से अधिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठनों द्वारा प्रदर्शन किया गया.
विश्व मानवाधिकार दिवस पर आयोजित इस विरोध प्रदर्शन एवं आक्रोश मार्च का उद्देश्य हिंदू समुदाय और अन्य अल्पसंख्यकों पर बांग्लादेश में हो रही हिंसा और उत्पीड़न की ओर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित करना है. प्रधानमंत्री संग्रहालय, तीन मूर्ति चौक से प्रारंभ होकर चाणक्यपुरी थाना पर समाप्त हुए इस मार्च में समाज के सभी क्षेत्रों में कार्यरत लोगों एवं संस्थाओं ने भाग लिया.
सुप्रीम कोर्ट में वकील प्रियदर्शनी, लेखक, एक्टर एवं सामाजिक कार्यकर्त्ता रूद्रनील घोष तथा कोलकाता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एवं भाजपा सांसद अभिजीत गांगुली भी मार्च में शामिल हुए. इन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आह्वान किया कि वे बांग्लादेश में अत्याचार एवं नरसंहार का सामना कर रहे हिंदुओं के मानवाधिकारों की रक्षा करने के लिए प्रभावी कदम उठाए.
साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि विश्व की संस्थाएं हिंदुओं पर हो रहे ऐसे अत्याचारों पर चुप क्यों हैं. हमारी करुणा को कायरता मत समझो. महिलाओं का अपमान हिंदू समाज सहन नहीं करेगा. हाल के वर्षों में बांग्लादेश में स्थिति काफी खराब हो गई है. खासकर धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और अधिकारों के संबंध में स्थिति काफी खराब है. बांग्लादेश में 5 अगस्त के बाद हिंदुओं एवं अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति काफी तेजी से ख़राब हुई है.
सिविल सोसाइटी ऑफ दिल्ली द्वारा ज्ञापन के माध्यम से यह मांग की गई है कि बांग्लादेश में हिंदुओं एवं अन्य अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों की रक्षा की जाए. हिंदुओं तथा अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों को शांतिपूर्ण सह अस्तित्व अधिकार मिलना चाहिए तथा उनके खिलाफ जारी हिंसा समाप्त होनी चाहिए.
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जीसीबी/एबीएम