कोरियाई सांस्कृतिक केंद्र में चुसेओक उत्सव: भारत-कोरिया सांस्कृतिक रिश्तों को मिला नया आयाम

New Delhi, 30 सितंबर . कोरियन कल्चरल सेंटर इंडिया (केसीसीआई) में कोरिया के पारंपरिक फसल उत्सव चुसेओक के उपलक्ष्य में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस अवसर पर भारतीय प्रतिभागियों को संगीत, शिल्प और पारंपरिक खेलों के माध्यम से कोरियाई संस्कृति का प्रत्यक्ष अनुभव करने का अवसर मिला.

कार्यक्रम के तहत “के-गुड्स सीरीज वर्कशॉप” आयोजित की गई, जिसमें 100 से अधिक भारतीय छात्रों और हल्लु वेव के प्रशंसकों ने भाग लिया. प्रतिभागियों ने कोरिया की लोक संस्कृति के प्रतिष्ठित प्रतीक हाहोए मुखौटे तैयार किए और पारंपरिक तहदार स्क्रीन भी बनाईं. इन रचनात्मक गतिविधियों ने प्रतिभागियों को कोरियाई शिल्पकला और उसकी सुंदरता से गहराई से परिचित कराया.

चुसेओक उत्सव की शुरुआत ऊर्जावान सामुलनोरी (कोरियाई पारंपरिक तालवाद्य प्रदर्शन) से हुई, जिसने पूरे वातावरण को जीवंत कर दिया. इसके बाद प्रतिभागियों को कोरिया के पारंपरिक खेलों जेगिचागी (शटलकॉक किकिंग जैसा खेल), गोंगगी (पत्थरों से खेला जाने वाला पारंपरिक खेल) और तुहो (एक घड़े में तीर फेंकने का खेल) का अनुभव कराया गया. इसके साथ ही, भारतीय छात्रों को कोरिया की पारंपरिक पोशाक हनबोक पहनने का भी अवसर मिला, जिसने उन्हें कोरियाई जीवनशैली का और करीब से अनुभव करने का मौका दिया.

इस मौके पर चुसेओक से जुड़ी परंपराओं की झलक भी प्रस्तुत की गई. कोरिया में यह त्योहार खेती के मौसम के अंत और समृद्ध फसल के जश्न का प्रतीक है. परिवार एकजुट होकर सोंगप्योन (चावल और ताजे फलों से बनी पारंपरिक मिठाई) का आनंद लेते हैं और पूर्णिमा की रात परिवारजन एकसाथ बैठकर खुशहाली की कामना करते हैं. India के फसल उत्सव बैसाखी, बिहू और पोंगल की तरह ही चुसेओक भी पारिवारिक बंधन और सामूहिक आनंद का प्रतीक है.

इस अवसर पर कोरियाई सांस्कृतिक केंद्र India के निदेशक ह्वांग इल योंग ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि चुसेओक उत्सव सांस्कृतिक आदान-प्रदान का एक महत्वपूर्ण अवसर बनेगा. इसके माध्यम से लोग न केवल चुसेओक के अर्थ पर विचार करेंगे बल्कि पारंपरिक कोरियाई संस्कृति, शिल्प और खेलों का आनंद भी उठाएंगे.”

एएसएच/डीएससी