बीजिंग, 13 जुलाई . चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने 13 जुलाई को अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा तथाकथित “तिब्बत-चीन विवादों के समाधान को बढ़ावा देने वाले अधिनियम” पर हस्ताक्षर करने पर संवाददाताओं के सवालों के जवाब दिये.
स्थानीय समयानुसार 12 जुलाई को, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने तथाकथित “तिब्बत-चीन विवादों के समाधान को बढ़ावा देने वाले अधिनियम” पर हस्ताक्षर किए. चीनी प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि यह अधिनियम दलाई लामा गुट की तथाकथित “ग्रेटर तिब्बत” अवधारणा को बढ़ावा देता है. और अमेरिकी सरकार तथा “तिब्बती मामलों के विशेष समन्वयक” से चीन सरकार की “तिब्बत संबंधी झूठी जानकारी” का मुकाबला करने के लिए भी कहा गया.
उन्होंने कहा, “अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने भी एक बयान जारी कर कहा कि यह अधिनियम अमेरिका में दोनों पार्टियों की लंबे समय से चली आ रही नीतियों में बदलाव नहीं करता. यानी, वे मानते हैं कि तिब्बत स्वायत्त प्रदेश और चीन में अन्य तिब्बती क्षेत्र चीन का हिस्सा हैं.”
चीनी प्रवक्ता ने कहा कि तथाकथित “तिब्बत-चीन विवादों के समाधान को बढ़ावा देने वाले अधिनियम” ने अमेरिकी सरकार के सतत रुख और प्रतिबद्धता का उल्लंघन किया, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के बुनियादी मानदंडों का उल्लंघन किया, चीन के आंतरिक मामलों में घोर हस्तक्षेप किया, चीन के हितों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया, और “तिब्बती स्वतंत्रता” ताकतों के लिए एक गंभीर गलत संकेत भेजा. चीन ने इसका कड़ा विरोध किया और गंभीर रूप से अमेरिका के सामने इस मामले को उठाया है.
इसके अलावा 13 जुलाई को अमेरिका द्वारा इस तथाकथित “तिब्बत-संबंधित अधिनियम” को पारित करने और हस्ताक्षर करने के जवाब में, चीन की राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा की विदेश मामलों की समिति ने भी एक बयान जारी किया.
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
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