छत्तीसगढ़: राजनांदगांव को मिले दो राष्ट्रीय पुरस्कार, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया सम्मानित

राजनांदगांव, 18 नवंबर . छत्‍तीसगढ़ में राजनांदगांव के लिए Tuesday गौरव का दिन रहा. जिले को राष्ट्रीय जल मिशन कार्यक्रम के अंतर्गत राजनांदगांव जिले को एक साथ दो राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. यह सम्मान दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में President द्रौपदी मुर्मू ने प्रदान किया.

राजनांदगांव जिला राष्ट्रीय जल पुरस्कार प्रतियोगिता में विभिन्न चरणों के निरीक्षण, पर्यवेक्षण एवं मूल्यांकन के बाद ईस्ट जोन का बेस्ट जिला चुना गया. यह प्रतियोगिता जल शक्ति मंत्रालय, India Government द्वारा आयोजित की गई थी. पुरस्कार जिले के कलेक्टर जितेंद्र यादव और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सुरुचि सिंह ने प्राप्त किया.

उसी कार्यक्रम में जल संरक्षण एवं जनभागीदारी के क्षेत्र में किए गए सराहनीय प्रयासों के लिए राजनांदगांव को छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों के साथ 2 करोड़ रुपए का जल संचय से जनभागीदारी प्रोत्साहन पुरस्कार भी प्रदान किया गया. यह उपलब्धि वर्ष 2022 में प्रारंभ किए गए मिशन जल रक्षा के सफल क्रियान्वयन का परिणाम रही है. इसमें जिले के नागरिकों, महिलाओं, स्वयंसेवी संस्थाओं, उद्योगपतियों और जनप्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही.

सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, जिले के तीन विकासखंड भू-जल स्तर के मामले में सेमी-क्रिटिकल जोन में हैं. जिले में 85 प्रतिशत भू-जल सिंचाई, 13 प्रतिशत घरेलू उपयोग और 2 प्रतिशत औद्योगिक उपयोग में हो रहा है. तेजी से गिरते जल स्तर को देखते हुए जिले ने व्यापक रणनीति के साथ जल शक्ति अभियान- कैच द रेन मोर गांव मोर पानी के अंतर्गत मिशन जल रक्षा-नारी शक्ति से जल शक्ति की शुरुआत की.

जिले में किए गए प्रमुख नवाचारों के कार्यों में 70 प्रतिशत से अधिक महिलाओं की भागीदारी दर्ज की गई. इन नवाचारों में रिचार्ज सॉफ्ट बोरवेल एवं सेंड फिल्टर तकनीक द्वारा असफल बोरों में रिचार्ज का प्रयास, परकुलेशन टैंक में इंजेक्शन वेल तैयार कर वर्षाजल को सीधे वाटर टेबल से जोड़ना, नए बोरवेल के साथ इंजेक्शन वेल का निर्माण, पहाड़ी क्षेत्रों में रिचार्ज संरचनाएं और लो-लाइन क्षेत्रों में जल संरक्षण संरचनाएं, संरचनाओं की मरम्मत, संधारण एवं जीआईएस-आधारित योजना निर्माण शामिल रहे. सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड रायपुर द्वारा जीआईएस पद्धति को प्रमाणित करते हुए तकनीकी प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन प्रदान किया गया.

एएसएच/डीकेपी