सुकमा, 27 मई . केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद से खत्म करने का वादा अपने अंतिम पड़ाव की तरफ बढ़ रहा है. छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के एक छोटे से गांव नागलगुंडा में कभी नक्सलवाद का बोलबाला था. इस गांव की कहानी दर्द और संघर्ष की थी, लेकिन आज इस गांव की तस्वीर पूरी तरह से बदल चुकी है.
2018 में नक्सलियों ने इस गांव में दो बसों और तीन ट्रकों को आग के हवाले कर दिया था और एक पुलिसकर्मी की जान ले ली थी. ग्रामीणों का जीवन दहशत और भय से भरा हुआ था. नक्सलियों के डर से लोग गांव छोड़कर कैंपों में रहने को मजबूर थे. बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे थे, और ग्रामीणों को अपने दैनिक जीवन के लिए संघर्ष करना पड़ता था. ग्रामीणों का अपने खेतों में काम करना मुश्किल हो गया था, और वे अपने परिवार के लिए अनाज और सब्जियां उगाने में असमर्थ थे. गांव में स्वास्थ्य सेवाएं नहीं थीं, और बीमार होने पर ग्रामीणों को इलाज के लिए दूर जाना पड़ता था.
60 वर्षीय वंजाम देवा दुला ने समाचार एजेंसी को बताया, “अब जीवन सरल हो गया है. आराम से एक पेड़ के नीचे मनोरंजन के लिए मुखौटा बना रहे हैं. पहले नक्सली बैठक की तैयारी करनी पड़ती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब सभी ग्रामीण अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम कर रहे हैं.”
एक बच्ची ने बताया कि उसे बड़े होकर डॉक्टर बनना है और मरीजों का बेहतर इलाज करना है. एक अन्य बच्ची ने बड़े होकर शिक्षक बनने की इच्छा जाहिर की.
एक अन्य छात्र ने बताया, “पहले की तुलना में अब गांव में रहने पर अच्छा प्रतीत होता है. पहले सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे थे, जो अब नहीं हैं. गांव में शिक्षा और एंबुलेंस की बेहतर सुविधा है. पहले बच्चे स्कूल जाने से बचते थे. लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है. शिक्षक रोजाना पढ़ाने के लिए स्कूल आते हैं.”
उल्लेखनीय है कि सरकार के नक्सलवाद पर किए कड़े प्रहार के कारण अब नागलगुंडा की तस्वीर पूरी तरह बदल गई है. आज नागलगुंडा गांव की कहानी अलग है. सरकार की योजनाओं और ग्रामीणों के प्रयासों से इस गांव की तस्वीर पूरी तरह से बदल गई है. गांव में 102/108 एंबुलेंस सेवा आसानी से पहुंच रही है, नेटवर्क की समस्या दूर हो गई है, और गांव में ट्रांसफॉर्मर लग गया है. ग्रामीणों के बच्चे अब स्कूलों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. किसानों ने खेतों में काम करना शुरू कर दिया है.
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एससीएच/जीकेटी