नई दिल्ली, 5 नवंबर . उत्तर भारत के महत्वपूर्ण चार दिवसीय आस्था के महापर्व छठ का मंगलवार को नहाय-खाय के साथ शुरुआत हो गई. देश की राजधानी दिल्ली में लोक आस्था के इस पर्व को मनाने में श्रद्धालुओं को कई तरह की परेशानी उठानी पड़ रही है. छठ के पहले दिन दिल्ली के कालिंदी कुंज में यमुना नदी में गंदे पानी से बने झाग के बीच श्रद्धालुओं के नहाने का दृश्य बेहद ही भयावह रहा.
दरअसल, बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने और पवित्र स्नान करने के लिए इकट्ठे हुए, जो सूर्य देव को समर्पित इस त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. हालांकि, नदी की सतह पर तैरते जहरीले झाग के कारण उनकी भक्ति फीकी पड़ गई, जो यमुना के प्रदूषित होने का परिणाम है.
राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते प्रदूषण के स्तर के बीच, यमुना नदी के कुछ हिस्से, खासकर कालिंदी कुंज के आसपास, घने झाग से ढके हुए दिखाई दिए.
हर साल, छठ पूजा के मौके पर श्रद्धालु पारंपरिक पूजा के हिस्से के रूप में पवित्र स्नान और प्रार्थना करने के लिए यमुना के किनारे इकट्ठा होते हैं. हालांकि, राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते प्रदूषण के स्तर के बीच, यमुना नदी के कुछ हिस्से, खासकर कालिंदी कुंज के आसपास, घने झाग से ढके हुए नजर आए.
यमुना नदी में स्नान करने आई एक श्रद्धालु किरण ने को बताया, ‘मुझे यमुना नदी बहुत पसंद है और मैं छठ व्रत पर स्नान करने के लिए यहां आई हूं, लेकिन, नदी की स्थिति बहुत खराब है. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण लगता है.’
उन्होंने कहा, ‘सरकार को उस नदी की स्थिति के बारे में सोचना चाहिए जिसे हम श्रद्धा से पूजते हैं. यह शर्मनाक है कि जिस पानी में हमें नहाना है, उसका पानी प्रदूषित है.’
एक अन्य श्रद्धालु, राम दुलारी ने कहा कि ‘आज नहाय-खाय है, हमारी छठ पूजा का पहला दिन. मैं सरकार से बस इतना अनुरोध करना चाहती हूं कि यमुना नदी को साफ करें.’
बता दें कि छठ पूजा के दौरान बार-बार यमुना में दिखने वाला जहरीला झाग पानी की गुणवत्ता और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर इसके संभावित प्रभाव को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा करता है. हानिकारक रसायनों, डिटर्जेंट और औद्योगिक और घरेलू कचरे से निकलने वाले प्रदूषणों से नदी में झाग बनता है.
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एससीएच/जीकेटी