चंद्रधर शर्मा गुलेरी : रोमियो-जूलियट के फैन भी ‘उसने कहा था’ पर फिदा

नई दिल्ली, 12 सितंबर . प्रसिद्ध लेखक चंद्रधर शर्मा गुलेरी ने अपने शब्दों की कारीगरी से लोगों के दिलों पर राज किया. साथ ही हिंदी सहित्य में अपनी एक अलग छाप छोड़ी.

चंद्रधर शर्मा की लिखी हिंदी कहानी ‘उसने कहा था’ अमर रचना मानी जाती है, यह हिंदी कहानी के विकास में एक मील का पत्थर साबित हुई. इस कहानी को विश्व की सर्वश्रेष्ठ प्रेम कहानियों में से एक माना जाता है. यह ऐसी जिसने लोगों को हिंदी कहानियां पढ़ने पर मजबूर कर दिया. जिसकी वजह से लोग अलग-अलग हिंदी कहानियां भी पढ़ने लगे.

चंद्रधर शर्मा गुलेरी की लिखी हिंदी कहानी ‘उसने कहा था’ इस कदर मशहूर हुई कि साल 1960 में निर्देशक मोनी भट्टाचार्य ने इसे फिल्मी पर्दे पर उतार दिया. इस फिल्म में मुख्य कलाकार सुनील दत्त और नंदा थे.

इसके अलावा चंद्रधर शर्मा ने ‘सुखमय जीवन’ (1911), ‘बुद्ध का कांटा’ (1911) कहानी भी लिखी थी. बहुमुखी प्रतिभा के धनी गुलेरी ने निबंध के साथ-साथ लघु-कथाएं भी लिखी हैं. हालांकि पिछले कुछ सालों में चंद्रधर गुलेरी की अधिकांश साहित्य प्रकाश में आ चुका है. आज भी उनकी बहुत सी रचनाएं कमाल की हैं.

चंद्रधर शर्मा का जन्म 7 जुलाई 1883 को राजस्थान के जयपुर में हुआ था. उनके पिता पंडित शिवराम शास्त्री हिमाचल प्रदेश के गुलेर गांव के मूल निवासी थे. चंद्रधर शर्मा ने बचपन में संस्कृत में पढ़ाई की. इसके बाद आगे की शिक्षा के लिए वो इलाहाबाद चले गए. उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से एमए किया. समालोचक, काशी नागरी प्रचारिणी पत्रिका का संपादन भी किया. वो अपने समय में हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी भाषाओं के प्रकांड विद्वान भी माने जाते थे.

इतिहास दिवाकर की उपाधि से सम्मानित चंद्रधर गुलेरी ने 1904 से 1922 तक कई महत्वपूर्ण संस्थानों में अध्यापन कार्य भी किया. बाद में पंडित मदन मोहन मालवीय के अनुरोध पर 1922 को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्राच्य विभाग के प्राचार्य बने.

चंद्रधर शर्मा गुलेरी का निधन 12 सितंबर 1922 को महज 39 साल की आयु हो गया. भले ही वो इस दुनिया को छोड़कर चले गए हो. लेकिन, आज भी उनकी कहानी लोगों के दिलों में अमर है.

एसके/