New Delhi, 18 सितंबर . आज के समय में तेजी से बदलती दुनिया में लोग अपने जीवन में कई बार ऐसे कदम उठा लेते हैं, जिससे उन्हें बाद में पछताना पड़ता है. ऐसे में चाणक्य नीति उन्हें सही दिशा दिखाने का काम करती है. यह नीति केवल किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे जीवन में उतारने से व्यक्ति अपनी सोच, चरित्र और समाज में अपनी पहचान को संवार सकता है.
चाणक्य ने कई ऐसी गलतियों का जिक्र किया है, जो अगर कोई युवा दोहराता है, तो उसका भविष्य अंधकार की ओर बढ़ सकता है.
चाणक्य के अनुसार, शिक्षा जीवन का सबसे जरूरी हिस्सा है. अगर कोई पढ़ाई को हल्के में लेता है, समय बर्बाद करता है, या आलस करता है, तो वह अपनी सबसे बड़ी ताकत को ही गंवा देता है. पढ़ाई न सिर्फ ज्ञान देती है, बल्कि सोचने-समझने की शक्ति और आत्मविश्वास भी बढ़ाती है. जो युवा पढ़ाई में मन नहीं लगाते, वे धीरे-धीरे अपनी दिशा खो देते हैं.
चाणक्य ने कहा है कि शिक्षा के प्रति कभी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए, क्योंकि यही असली पूंजी है.
एक और बड़ी बात जो चाणक्य ने बताई है, वह है संगति, यानी किसके साथ आप समय बिताते हैं. जैसे दूध में नींबू पड़ते ही वह फट जाता है, वैसे ही गलत संगति में पड़कर अच्छा इंसान भी बिगड़ सकता है. अगर आप ऐसे दोस्तों के साथ रहते हैं, जो झूठ बोलते हैं, बुरी आदतों में डूबे हैं, या मेहनत से भागते हैं, तो उसका असर आप पर भी जरूर पड़ेगा.
चाणक्य ने कहा है कि बुरी संगति इंसान को उसकी मंजिल से भटका देती है. अच्छे दोस्त वो होते हैं, जो मुश्किल में साथ दें और सफलता की ओर प्रेरित करें.
गुस्सा एक और चीज है, जिससे चाणक्य ने सावधान रहने पर जोर दिया है. वे कहते हैं कि क्रोध इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन होता है. गुस्से में लिया गया कोई भी फैसला अक्सर गलत साबित होता है और रिश्ते भी टूट जाते हैं. कई बार लोग गुस्से में ऐसे शब्द बोल जाते हैं, जिनका पछतावा बाद में होता है.
चाणक्य सिखाते हैं कि संयम और धैर्य हर परिस्थिति में बनाए रखना चाहिए, तभी कोई व्यक्ति समझदार और सम्मानित बन सकता है.
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पीके/एबीएम