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New Delhi, 23 नवंबर . भारतीय सेना चाणक्य डिफेंस डायलॉग आयोजित करने जा रही है. इस वर्ष का मुख्य विषय “रिफार्म टू ट्रांसफॉर्म – सशक्त, सुरक्षित और विकसित भारत” है. यह देश की उस रणनीतिक दृष्टि को दर्शाता है, जिसके अनुसार व्यापक सुधार ही भविष्य की रक्षा संरचना को और मजबूत, सक्षम व आधुनिक बना सकते हैं.
भारतीय सेना के मुताबिक यह थीम इस बात पर बल देती है कि 21वीं सदी की उभरती सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए संरचनात्मक, तकनीकी और संस्थागत बदलाव अनिवार्य हैं. भारतीय सेना के तत्वाधान में स्ट्रैटेजिक प्लानिंग डायरेक्टरेट और सेंटर फॉर लैंड वॉरफेयर स्टडीज द्वारा आयोजित चाणक्य डिफेंस डायलॉग 2025 का तीसरा संस्करण आयोजित किया जा रहा है.
इसका मुख्य आयोजन 27 व 28 नवंबर को New Delhi में आयोजित किया जाएगा. यह वार्षिक संवाद India की सामरिक सोच, राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति और भविष्य की सैन्य क्षमताओं पर उच्च-स्तरीय विमर्श का प्रमुख मंच बन चुका है. डायलॉग का फोकस India की रक्षा एवं सुरक्षा संरचना में आवश्यक सुधार पर रहेगा.
इस दो दिवसीय कार्यक्रम में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय रक्षा विशेषज्ञ, सैन्य नेतृत्व, सामरिक विश्लेषक, थिंक टैंक, शिक्षाविद और उद्योग जगत के प्रतिनिधि सहभागी होंगे. मुख्य चर्चाएं India की रक्षा एवं सुरक्षा संरचना में आवश्यक सुधार, भविष्य के युद्ध, तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सैन्य आधुनिकीकरण व इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रणनीतिक संतुलन और India की भूमिका पर रह सकता है.
इसके अलावा, क्षेत्रीय व वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों पर मंथन किया जाएगा. आत्मनिर्भरता, रक्षा उत्पादन, और तकनीकी नवाचार का विस्तार पर चर्चा की जाएगी. उभरते खतरों जैसे कि साइबर, स्पेस, हाइब्रिड और ग्रे-जोन वॉरफेयर पर यहां विशेषज्ञों द्वारा मंथन किया जाएगा. चाणक्य डिफेंस डायलॉग में भविष्य की सैन्य तैयारी पर विशेष सत्र आयोजित किया जाएगा. इस मंच पर भारतीय सेना की भविष्य-तत्परता, थिएटर कमांड्स, मल्टी-डोमेन ऑपरेशंस, स्वदेशी हथियार प्रणालियों और संयुक्तता को मजबूत बनाने पर विशेष सत्र होंगे.
सेंटर फॉर लैंड वॉरफेयर स्टडीज और भारतीय सेना दोनों ही इस संवाद को India के सैन्य-Political परिदृश्य में प्रमुख विचार-विमर्श के मंच के रूप में लगातार व्यापक बना रहे हैं. इस डायलॉग का विशेष रणनीतिक महत्व भी है. चाणक्य डिफेंस डायलॉग 2025 न केवल India की रक्षा नीति की दिशा तय करने वाला एक बौद्धिक मंच है, बल्कि यह देश की आत्मनिर्भरता, आधुनिक युद्धक क्षमता, और वैश्विक सुरक्षा नेतृत्व के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को भी मजबूती प्रदान करता है. यह दो दिवसीय यह संवाद India को सशक्त, सुरक्षित और विकसित राष्ट्र बनाने हेतु आवश्यक सामरिक सुधारों की रूपरेखा पर गहन चर्चा का महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगा.
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जीसीबी/एएस