गोबिंदपुर विधानसभा : राजद के सामने विरासत बचाने की चुनौती

Patna, 30 अक्टूबर . गोबिंदपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, बिहार के नवादा जिले में स्थित है. यह नवादा (Lok Sabha निर्वाचन क्षेत्र) के अंतर्गत आता है. गोबिंदपुर विधानसभा में 9 ग्राम पंचायतें और कुल 73 गांव हैं.

गोबिंदपुर विधानसभा क्षेत्र की पहचान ककोलत वाटरफॉल है, जो इस क्षेत्र की खूबसूरती को दर्शाता है. यह लोकप्रिय दृश्यों के कारण पर्यटकों को लुभाता है. यह India में सबसे अच्छे झरनों में से एक है और झरने का पानी पूरे साल के लिए ठंडा रहता है. इस झरने की ऊंचाई लगभग 150 से 160 फीट है.

सिर्फ यही नहीं, इसका पौराणिक इतिहास भी है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक प्राचीन राजा को ऋषि के अभिशाप ने अजगर में बदल दिया था, जो झरने के भीतर रहता था. इसके अलावा, यह भी लोककथाएं हैं कि कृष्णा अपनी रानियों के साथ स्नान करने के लिए यहां आया करते थे. यहां मौर्य और गुप्तकालीन प्रभाव के प्रमाण मिलते हैं.

गोबिंदपुर क्षेत्र से सकरी नदी गुजरी है और बारिश के मौसम में अक्सर यहां बाढ़ आती है, जिससे क्षेत्र के कुछ गांव एक-दूसरे से कट जाते हैं. हालांकि, इस क्षेत्र से एसएच-103 होकर गुजरता है, जो इसे राज्य और जिले के बाकी हिस्सों से जोड़ता है.

Political तौर पर यहां युगल किशोर यादव के परिवार का दबदबा रहा है. इस बार विधानसभा चुनाव में युगल किशोर यादव की विरासत को बचाने की चुनौती बहू पूर्णिमा यादव के सामने है.

गोबिंदपुर में 9 प्रत्याशियों ने इस बार अपनी किस्मत को दांव पर लगाया है. राजद के टिकट पर पूर्णिमा यादव चुनावी मैदान में खड़ी हैं, जिन्हें लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की प्रत्याशी विनीता मेहता टक्कर दे रही हैं. पूनम कुमारी ने जन सुराज पार्टी के टिकट पर मैदान में उतरकर चुनावी मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. यह भी अहम है कि गोबिंदपुर में तीनों प्रमुख दलों ने महिलाओं को उम्मीदवार बनाया है.

अगर गोबिंदपुर विधानसभा के Political इतिहास की बात करें तो 1967 में गोबिंदपुर को एक अलग विधानसभा क्षेत्र के रूप में पहचान मिली थी. इस क्षेत्र में अब तक 15 बार चुनाव हुए हैं, जिसमें 1970 का एक उपचुनाव भी शामिल है. कांग्रेस ने यहां से छह बार जीत हासिल की. तीन बार निर्दलीय उम्मीदवारों को विजय प्राप्त हुई. वहीं राजद को 2 बार और लोकतांत्रिक कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता दल व जदयू को एक-एक बार जीत मिली.

गोबिंदपुर की जनता ने यहां पार्टियों से ज्यादा नेताओं को तवज्जो दी है. युगल किशोर यादव 1969 में लोकतांत्रिक कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे, जबकि 1970 में उनकी पत्नी गायत्री देवी यादव को निर्दलीय जीत मिली. इसके बाद वे 1980, 1985, 1990 (कांग्रेस) और 2000 में चार बार विधायक बनीं. हालांकि, इस दौरान उनके दल बदलने का सिलसिला नहीं रुका. उन्होंने तीन बार कांग्रेस और एक बार राजद के टिकट पर विजय प्राप्त की.

गायत्री देवी यादव के बाद परिवार की Political विरासत को बेटे कौशल यादव ने संभाला, जो यहां से लगातार तीन बार विधायक बने. गायत्री के बाद सिर्फ कौशल यादव ही ऐसे नेता थे, जिन्हें गोबिंदपुर में लगातार तीन बार जीत मिली. हालांकि, उन्होंने अपनी लड़ाई दो बार निर्दलीय बनकर और एक बार जदयू के प्रत्याशी के रूप में जीती.

इसके बाद कौशल यादव की पत्नी पूर्णिमा यादव को परिवार की विरासत को आगे बढ़ाने का मौका मिला और 2015 के चुनाव में विजयी हुईं. यह जीत उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में मिली थी. 2020 में राजद के खाते में यह सीट आई और मोहम्मद कामरान विजयी हुए. हालांकि, राजद ने इस बार पूर्णिमा देवी को टिकट दिया है.

डीसीएच/एबीएम