छत्तीसगढ़: पूर्व सीएम के बेटे चैतन्य बघेल की बढ़ीं मुश्किलें, 13 दिन की ईओडब्ल्यू की रिमांड में भेजा

रायपुर, 24 सितंबर . छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में पूर्व Chief Minister भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. ईओडब्ल्यू विशेष कोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया. अब चैतन्य बघेल को अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की रिमांड में भेज दिया गया है.

हाईकोर्ट से तुरंत राहत न मिलने के बाद ईओडब्ल्यू ने चैतन्य बघेल और व्यवसायी दीपेंद्र चावड़ा को गिरफ्तार कर विशेष अदालत में पेश किया, जहां ईओडब्ल्यू को दोनों की रिमांड सौंप दी गई. पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल 13 दिन यानी 6 अक्टूबर तक ईओडब्ल्यू की रिमांड में रहेंगे, जबकि दीपेंद्र चावड़ा को 29 सितंबर तक Police रिमांड पर सौंपा गया. इस दौरान ईओडब्ल्यू दोनों से पूछताछ करेगी.

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में Enforcement Directorate (ईडी) ने चैतन्य बघेल को गिरफ्तार किया था.

पिछले महीने Supreme court ने पूर्व Chief Minister भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल की याचिकाओं पर सुनवाई से साफ इनकार करते हुए उन्हें अंतरिम राहत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने को कहा था. इसके साथ ही Supreme court ने हाईकोर्ट को निर्देश भी दिया है कि वह दोनों की अर्जियों पर जल्द सुनवाई करे.

भूपेश बघेल और उनके बेटे की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने सख्त टिप्पणियां की थीं. कोर्ट ने कहा था कि दोनों ने एक ही याचिका में पीएमएलए (पीएमएलए) के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने के साथ-साथ जमानत जैसी व्यक्तिगत राहत की मांग भी की है, जो उचित नहीं है.

इसके अलावा, Supreme court ने पिता-पुत्र के सीधे Supreme court आने पर भी सवाल उठाया था. न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि जब किसी मामले में कोई प्रभावशाली व्यक्ति शामिल होता है तो वह सीधे Supreme court पहुंच जाता है. अगर हम ही हर मामले की सुनवाई करेंगे तो अन्य अदालतों का क्या उपयोग रह जाएगा? अगर ऐसा होता रहा तो फिर गरीब लोग कहां जाएंगे? एक आम आदमी और साधारण वकील के पास Supreme court में पैरवी करने की कोई जगह ही नहीं बचेगी.

Supreme court ने स्पष्ट किया कि प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने के नाम पर याचिकाकर्ता सीधे अंतिम राहत नहीं मांग सकते. कोर्ट ने कहा कि एक ही याचिका में आप सब कुछ नहीं मांग सकते. इसके लिए तय प्रक्रिया और मंच हैं. कोर्ट ने चैतन्य बघेल को जमानत याचिका के लिए हाईकोर्ट जाने को कहा और यह भी निर्देश दिया कि हाईकोर्ट इस पर जल्द सुनवाई करे. इसके अलावा, Supreme court ने पीएमएलए की धारा 50 और 63 को चुनौती देने के लिए अलग से याचिका दाखिल करने की सलाह दी थी.

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