बीजिंग, 9 जुलाई . अमेरिका द्वारा गढ़ा गया “वोल्ट टाइफून” इस बार खुद ही खत्म हो गया है. चीन के राष्ट्रीय कंप्यूटर वायरस आपातकालीन प्रतिक्रिया केंद्र, कंप्यूटर वायरस रोकथाम और नियंत्रण प्रौद्योगिकी की राष्ट्रीय इंजीनियरिंग प्रयोगशाला और 360 डिजिटल सुरक्षा समूह ने संयुक्त रूप से एक विशेष रिपोर्ट जारी की, जिसमें कई अमेरिकी एजेंसियों द्वारा नियोजित और कार्यान्वित “वोल्ट टाइफून” ऑपरेशन को उजागर किया गया.
इस ऑपरेशन का उद्देश्य तथाकथित “चीनी साइबर हमले के खतरे” को भड़काकर और अमेरिकी विदेशी खुफिया निगरानी अधिनियम की धारा-702 का विस्तार कर अमेरिका की खुफिया एजेंसियों के अंदर और बाहर साइबर निगरानी को मजबूत करना है.
सीजीटीएन द्वारा किए गए एक वैश्विक ऑनलाइन सर्वेक्षण के अनुसार, 91.7 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना था कि अमेरिकी सरकार की निरंतर अवैध निगरानी और साइबर हमले केवल इसकी अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को खराब करेंगे और दुनिया में विश्वसनीयता खो देंगे.
वैश्विक उत्तरदाताओं में से 91.3 प्रतिशत का मानना है कि धारा-702, जो अमेरिकी खुफिया एजेंसियों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को नेटवर्क ऑपरेटरों को बिना किसी अदालती वारंट के सभी व्यक्तिगत डेटा और जानकारी बिना शर्त प्रदान करने की आवश्यकता करने की अनुमति देती है, अवैध और नाजायज हैं.
अमेरिका लंबे समय से इंटरनेट प्रौद्योगिकी में अपने लाभ का दुरुपयोग करके अन्य देशों की सरकारों और नागरिकों की बड़े पैमाने पर, दीर्घकालिक जासूसी और निगरानी करता रहा है, जिसे अंतरराष्ट्रीय जनमत स्वीकार नहीं करता है.
सर्वेक्षण के अनुसार, 94.4 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि “यह विशुद्ध रूप से जासूसी है”, 92.1 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना था कि अमेरिकी सरकार का व्यवहार अन्य देशों की संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा का घोर उल्लंघन है.
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
–