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गाजीपुर, 22 नवंबर . केंद्र Government की ओर से नया लेबर कोड लागू कर दिया गया है, जिसके तहत अब Governmentी और निजी क्षेत्र के सभी कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन की गारंटी दी जाएगी.
इस कानून के अंतर्गत, Government ने निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए भी वेतन तय किया है. इसके अलावा, महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को लेकर भी विशेष प्रावधान रखे गए हैं, जो उन्हें समान अधिकार और कार्यस्थल पर सुरक्षा प्रदान करेंगे.
उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में शिक्षकेत्तर कर्मचारी महासंघ के जिला अध्यक्ष विवेक कुमार सिंह उर्फ शम्मी ने समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा, “इस श्रम कानून से महिला और पुरुष कर्मचारियों के वेतन में एक समानता आएगी. पहले निजी क्षेत्र में कर्मचारियों का शोषण होता था, जहां उनका वेतन तय नहीं होता था और उन्हें कोई सुरक्षा भी नहीं मिलती थी. अब, यह नया कानून उन्हें एक स्थिर और न्यूनतम वेतन प्रदान करेगा, जिससे उनका शोषण कम होगा.”
विवेक कुमार सिंह ने बताया कि इस कानून का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि अब कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र दिया जाएगा, जिससे उनका शोषण रोका जा सकेगा. पहले कर्मचारियों को बिना किसी नियुक्ति पत्र के काम पर रखा जाता था और अगर किसी कारणवश उनका काम पसंद नहीं आता था, तो उन्हें जल्दी से नौकरी से निकाल दिया जाता था. अब, यह कानून कर्मचारियों के लिए एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करेगा.
महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को लेकर उन्होने कहा कि यह कानून महिलाओं को बराबरी का दर्जा देगा और उन्हें रात में भी काम करने की अनुमति प्रदान करेगा. अब उन्हें किसी भी काम के लिए मनमानी रोक-टोक का सामना नहीं करना पड़ेगा, जिससे उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार होगा.
कानून के तहत ओवर टाइम और 40 वर्ष से ऊपर के कर्मचारियों को साल में एक बार मेडिकल सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी. यह Government की तरफ से एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि आजकल मेडिकल खर्चे लगातार बढ़ रहे हैं और 40 वर्ष से ऊपर के कर्मचारियों के लिए यह सुविधाएं अत्यंत आवश्यक हैं.
विवेक कुमार सिंह ने कहा कि यह कानून न केवल कर्मचारियों के हित में है, बल्कि यह Prime Minister Narendra Modi की गहरी समझ को भी दर्शाता है, क्योंकि उन्होंने ग्राउंड लेवल की समस्याओं को समझते हुए यह कानून लागू किया है. इस कदम से न केवल कर्मचारियों को सुरक्षा मिलेगी, बल्कि हर व्यक्ति को गारंटी मिलेगी कि उनका हक और सम्मान सुनिश्चित है.
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एसएके