कोलकाता. 26 नवंबर . संविधान के भारतीय संसद में अंगीकार होने के 75 वर्ष पूरे होने पर पश्चिम बंगाल के विधानसभा अध्यक्ष बिमान बंदोपाध्याय ने विधानसभा में एक बिल पेश किया. टीएमसी नेता कुणाल घोष ने इस पर अपना विचार व्यक्त किया.
उन्होंने से बात करते हुए कहा, “ हमारी केंद्र की सरकार संविधान की मुख्य भावना को बनाए रखने में असफल रही है. यह बहुत जरूरी है कि देश में संविधान की असल भावना की रक्षा की जाए. यह लोकतंत्र की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए.”
इससे पहले इस बिल का विरोध करते हुए भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा था, “संविधान दिवस पर जो प्रस्ताव (रेजोल्यूशन) हमारे स्पीकर ले आए, वह पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है. स्पीकर ने अपने पद की गरिमा को समाप्त कर दिया है. मैं इस रेजोल्यूशन को लोकसभा स्पीकर, ओम बिरला, राज्यसभा के चेयरपर्सन और उपराष्ट्रपति, जगदीप धनखड़ को भेजूंगा. स्पीकर ने संवैधानिक संस्थाओं पर हमला किया है, जैसे सीबीआई, एनआईए और अन्य केंद्रीय एजेंसियों पर भी आरोप लगाए हैं. उन्होंने यह सब उस तरह से किया है जैसे कि यह राजनीतिक हमला हो.”
उन्होंने आगे कहा, “स्पीकर एक राजनीतिक व्यक्ति हो सकते हैं, लेकिन उनका पद पूरी तरह से निष्पक्ष और गैर-राजनीतिक होता है. उन्होंने उस पद की गरिमा को नष्ट कर दिया, जो एक स्पीकर के लिए जरूरी है.”
बता दें कि विधानसभा अध्यक्ष के लाए इस बिल का टीएमसी नेताओं ने समर्थन करते हुए इसके फायदे गिनाए.
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