केंद्र सरकार ने बायोमेडिकल रिसर्च करियर प्रोग्राम के तीसरे चरण को दी मंजूरी

New Delhi, 1 अक्टूबर . Prime Minister Narendra Modi की अध्यक्षता में Wednesday को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बायोमेडिकल रिसर्च करियर प्रोग्राम (बीआरसीपी), फेज-3 को जारी रखने की मंजूरी दे दी है. यह कार्यक्रम जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और वेलकम ट्रस्ट (डब्ल्यूटी), ब्रिटेन और एसपीवी, इंडिया अलायंस के बीच तीसरे चरण (2025-26 से 2030-31 तक) और अगले छह वर्षों (2031-32 से 2037-38 तक) के लिए साझेदारी में कार्यान्वित किया जा रहा है.

इसका उद्देश्य 1,500 करोड़ रुपए की कुल लागत से 2030-31 तक स्वीकृत फेलोशिप और अनुदान प्रदान करना है, जिसमें डीबीटी और डब्ल्यूटी, ब्रिटेन क्रमशः 1,000 करोड़ रुपए और 500 करोड़ रुपए का योगदान देंगे.

जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने कौशल और नवाचार को बढ़ावा देने के विकसित India के लक्ष्यों के अनुरूप, बायोमेडिकल रिसर्च करियर प्रोग्राम (बीआरसीपी) के तीसरे चरण की शुरुआत की है. यह कार्यक्रम अत्याधुनिक जैव-चिकित्सीय अनुसंधान के लिए शीर्ष स्‍तरीय वैज्ञानिक प्रतिभाओं को प्रोत्‍साहन प्रदान करेगा और नवाचार को व्‍यावहारिक समाधान में बदलने (ट्रांसलेशनल इनोवेशन) के लिए अंतःविषयक अनुसंधान को बढ़ावा देगा.

यह वैश्विक प्रभाव वाली विश्व स्तरीय जैव-चिकित्सीय अनुसंधान क्षमता विकसित करने के लिए उच्च-गुणवत्ता वाले अनुसंधान का समर्थन करने वाली प्रणालियों को भी मजबूत करेगा और वैज्ञानिक क्षमता में क्षेत्रीय असमानताओं को कम करेगा.

जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने 2008-2009 में मंत्रिमंडल की मंजूरी से, वेलकम ट्रस्ट (डब्ल्यूटी), ब्रिटेन के साथ साझेदारी में, डीबीटी/वेलकम ट्रस्ट इंडिया अलायंस (इंडिया अलायंस), एक समर्पित विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) के माध्यम से ‘बायोमेडिकल रिसर्च करियर प्रोग्राम’ (बीआरसीपी) की शुरुआत की थी, जो विश्व स्तरीय मानकों पर जैव चिकित्सा अनुसंधान के लिए India में आधारित अनुसंधान फेलोशिप प्रदान करता है. इसके बाद, 2018/19 में विस्तारित पोर्टफोलियो के साथ फेज-2 लागू किया गया.

फेज-3 में, निम्नलिखित कार्यक्रमों को लागू करने का प्रस्ताव है :-

बुनियादी, नैदानिक और जन स्वास्थ्य में प्रारंभिक करियर और मध्यवर्ती अनुसंधान फेलोशिप. ये विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त हैं और एक वैज्ञानिक के शोध करियर के प्रारंभिक चरणों के लिए तैयार किए गए हैं.

सहयोगात्मक अनुदान कार्यक्रम, इनमें India में मजबूत रिसर्च ट्रैक रिकॉर्ड वाले क्रमशः प्रारंभिक और मध्य-वरिष्ठ करियर शोधकर्ताओं के लिए 2-3 अन्वेषक टीमों के लिए करियर विकास अनुदान और उत्प्रेरक सहयोगात्मक अनुदान शामिल हैं.

मुख्य शोध प्रयासों को मजबूत करने के लिए अनुसंधान प्रबंधन कार्यक्रम. फेज-3 में मेंटरशिप, नेटवर्किंग, जन सहभागिता को मजबूत करने और नई एवं नवोन्‍मेषी राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियों को विकसित करने पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा.

अनुसंधान फेलोशिप, सहयोगात्मक अनुदान और अखिल भारतीय स्तर पर कार्यान्वित अनुसंधान प्रबंधन कार्यक्रम मिलकर वैज्ञानिक उत्कृष्टता, कौशल विकास, सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देंगे. अपेक्षित परिणामों में 2,000 से अधिक छात्रों और पोस्टडॉक्टरल फेलो को प्रशिक्षित करना, उच्च-प्रभावी प्रकाशन तैयार करना, पेटेंट योग्य खोजों को सक्षम बनाना, समकक्ष मान्यता प्राप्त करना, महिलाओं को मिलने वाले समर्थन में 10-15% की वृद्धि, 25-30% सहयोगात्मक कार्यक्रमों को टीआरएल4 और उससे ऊपर के स्तर तक पहुंचाना और टियर-2/3 परिवेश में गतिविधियों और सहभागिता का विस्तार शामिल है.

फेज-1 और 2 ने India को अंतरराष्ट्रीय स्तर के जैव चिकित्सा विज्ञान के एक उभरते केंद्र के रूप में स्थापित किया. विज्ञान में India का बढ़ता निवेश और वैश्विक ज्ञान अर्थव्यवस्था में इसकी बढ़ती भूमिका रणनीतिक प्रयासों के एक नए चरण की मांग करती है. पहले के चरणों के लाभों को आगे बढ़ाते हुए, फेज-3 राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और वैश्विक मानकों के अनुरूप प्रतिभा, क्षमता और रूपांतरण में निवेश करेगा.

एसके/एबीएम