New Delhi, 27 अगस्त . केंद्र ने Wednesday को कहा कि पर्यावरण-आर्थिक लेखांकन प्रणाली (एसईईए) फ्रेमवर्क के तहत ‘महासागर लेखांकन विकास के लिए तटीय राज्यों की क्षमता निर्माण’ पर एक दिवसीय वर्कशॉप केरल के कोच्चि में आयोजित की जाएगी.
यह वर्कशॉप सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा केरल के अर्थशास्त्र एवं सांख्यिकी निदेशालय (डीईएस) के सहयोग से 29 अगस्त, 2025 को आयोजित की जा रही है.
एक ऑफिशियल रिलीज में कहा गया है कि वर्कशॉप का मुख्य उद्देश्य तटीय राज्यों को अपने स्वयं के महासागर लेखांकन बनाने के लिए प्रोत्साहित करना है, जिससे एसईईए फ्रेमवर्क के अनुसार अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय स्तर के महासागर लेखांकन विकसित करने में मदद मिलेगी.
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने इससे पहले 22 जनवरी, 2025 को ‘ओशियन इकोसिस्टम अकाउंट्स इन इंडिया: ए फ्रेमवर्क रिपोर्ट’ भी जारी की.
यह रिपोर्ट ओशियन इकोसिस्टम पर इकोलॉजिकल और इकोनॉमिक डेटा को इंटीग्रेट करती है, जो भारत में विकास और सस्टेनेबल ओशियन मैनेजमेंट के बीच संतुलन बनाने वाले सूचित निर्णय लेने में मदद करती है.
रिलीज में कहा गया है कि तटीय राज्यों, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, राज्य विभागों और विशेषज्ञों के हितधारक इस कार्यक्रम में भाग लेंगे, जिसमें दो सत्र होंगे.
पहले तकनीकी सत्र में संदर्भ स्थापित करने और पर्यावरण-आर्थिक लेखांकन प्रणाली की रिपोर्ट ‘ओशियन इकोसिस्टम अकाउंट्स इन इंडिया: ए फ्रेमवर्क’ और महासागर लेखांकन में सर्वोत्तम वैश्विक विधियों के अवलोकन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. इस सत्र में केरल तट के लिए विशिष्ट डेटा उपलब्धता और महासागर लेखांकन के लिए इसके उपयोग में आने वाली चुनौतियों पर भी चर्चा होगी.
दूसरे तकनीकी सत्र में ‘ओशियन अकाउंटिंग सेग्मेंट ऑफ द ब्लू इकोनॉमी पाथवेज ए केस स्टडी ऑफ तमिलनाडु रिपोर्ट के जलवायु परिवर्तन, महासागर लेखांकन और समुद्री संसाधनों पर प्रभाव पर चर्चा होगी. इसके बाद आधुनिक समुद्र विज्ञान में नवाचार पर खुली चर्चा और प्रश्नोत्तर सत्र का भी आयोजन होगा.
महासागर लेखांकन, महासागर द्वारा समर्थित पर्यावरणीय संपत्तियों, आर्थिक गतिविधियों और तटीय आजीविका के बारे में जानकारी को व्यवस्थित रूप से ट्रैक और व्यवस्थित करने की एक विधि है. इससे सरकारों और समुदायों को समुद्री संसाधनों के संरक्षण और स्थायी उपयोग के लिए बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलेगी.
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एसकेटी/