केंद्र ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया, यासीन मलिक को जरूरी चिकित्सा उपचार दिया गया

नई दिल्ली, 15 फरवरी . केंद्र ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक की एम्स के डॉक्टरों ने जांच की और चिकित्सा उपचार दिया गया. मलिक आतंकी फंडिंग मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं.

2 फरवरी को न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने तिहाड़ जेल अधीक्षक को मलिक को जरूरी चिकित्सा उपचार सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था.

केंद्र और जेल महानिदेशक (तिहाड़ जेल) का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील रजत नायर ने अदालत को आश्‍वासन दिया कि मलिक को चिकित्सा उपचार दिया गया है. जब भी जरूरत होगी, उन्हें जरूरी देखभाल मिलती रहेगी.

रजत नायर ने पुष्टि की कि मलिक की एम्स में जांच की गई. चिकित्सा सहायता दिए जाने के बाद उन्हें छुट्टी दी गई. न्यायमूर्ति मेंदीरत्ता ने वकील की दलीलें दर्ज की और मलिक की याचिका का निपटारा कर दिया.

मलिक की याचिका में अदालत से हृदय और गुर्दे से संबंधित बीमारियों के कारण उन्हें जरूरी चिकित्सा उपचार के लिए रेफर करने का निर्देश देने की मांग की गई थी. अदालत ने निर्देश दिया कि आदेश की एक प्रति अनुपालन के लिए संबंधित जेल अधीक्षक को भेजी जाए.

उनकी याचिका में केंद्र सरकार और जेल अधिकारियों से आवश्यक चिकित्सा देखभाल के लिए उन्हें एम्स या किसी अन्य अस्पताल में रेफर करने का आग्रह किया गया था. नायर ने तथ्यों को गंभीर रूप से छिपाने का हवाला देते हुए याचिका का विरोध किया था और कहा था कि मलिक ने एम्स मेडिकल बोर्ड द्वारा इलाज से इनकार कर दिया था.

नायर ने तर्क दिया था कि मलिक की जेल में एक बाह्य रोगी के रूप में जांच की जा सकती है और उसके इलाज की व्यवस्था जेल के भीतर ही की जा सकती है, यह देखते हुए कि वह एक हाई जोखिम वाला कैदी है जिसे अस्पताल में फीजिकल प्रवेश की अनुमति नहीं है.

जवाब में मलिक के वकील ने उनका इलाज करने वाले डॉक्टरों में बदलाव के कारण उनके स्वास्थ्य पर संभावित प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की थी. अदालत मलिक के लिए मौत की सजा की मांग करने वाली एनआईए की याचिका पर भी नजर रख रही है.

कोर्ट ने मई 2022 में दोषी ठहराया था और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद आतंकी फंडिंग मामले में एक विशेष अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

एनआईए ने मलिक के लिए मौत की सजा की मांग के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है.

एफजेड/एसजीके