केंद्र ने क्रिटिकल मिनरल वैल्यू चेन में आरएंडडी को बढ़ावा देने के लिए दो नए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की

New Delhi, 25 अक्टूबर . खान मंत्रालय की ओर से Saturday को दी गई जानकारी के अनुसार, मंत्रालय की ओर से भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बैंगलोर और सेंटर फॉर मैटेरियल्स फॉर इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी (सी-मेट), हैदराबाद को राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन (एनसीएमएम) के अंतर्गत सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई) के रूप में मान्यता दी गई.

आधिकारिक बयान में कहा गया है कि ये सीओई क्रिटिकल मिनरल्स के क्षेत्र में देश की साइंस और टेक्नोलॉजी क्षमताओं को बढ़ाते हुए इनोवेटिव और ट्रांसफॉर्मेशनल रिसर्च करेंगे.

मंत्रालय की ओर से कहा गया कि यह निर्णय प्रोजेक्ट अप्रूवल एंड एडवाइजरी कमेटी (पीएएसी) द्वारा 24 अक्टूबर 2025 को खान मंत्रालय के सचिव पीयूष गोयल और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रो. अभय करंदीकर की सह-अध्यक्षता में आयोजित बैठक में दी गई मंजूरी के बाद लिया गया.

क्रिटिकल रॉ मटेरियल क्लीन एनर्जी और मोबिलिटी ट्रांजीशन जैसे उभरते सेक्टर के लिए महत्वपूर्ण सप्लाई चेन का निर्माण करते हैं. इसके अलावा, एडवांस्ड टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रॉनिक्स, डिफेंस और स्पेस जैसे स्ट्रैटेजिक सेक्टर्स के लिए भी ये मटेरियल काफी महत्वपूर्ण हैं.

केंद्र Government की ओर से महत्वपूर्ण खनिज क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने की राह में एक मजबूत फ्रेमवर्क स्थापित करने के लिए 2025 में राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन की शुरूआत की गई है.

इस मिशन के तहत, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) को 2024-25 से 2030-31 तक 1,200 एक्सप्लोरेशन प्रोजेक्ट का संचालन करने का काम सौंपा गया है.

India का लक्ष्य 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 2005 के स्तर से 45 प्रतिशत तक कम करना है.

इसी के साथ देश 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन की राह पर भी आगे बढ़ रहा है. इन जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एमसीएमएम महत्वपूर्ण खनिजों के लिए एक मज़बूत और आत्मनिर्भर व्यवस्था बनाकर एक अहम भूमिका निभा रहा है.

यह खास मिशन निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने, अंतरराष्ट्रीय भागीदारी को मजबूत करने और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ क्लीन एनर्जी टेक्नोलॉजी के लिए जरुरी खनिजों की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए विनियमों को सुव्यवस्थित करने पर केंद्रित है.

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