
नई दिल्ली New Delhi . समलैंगिक विवाह को मंजूरी देने की मांग वाली याचिकाओं पर केंद्र सरकार ने विरोध जताया है. सरकार ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा कि समलैंगिक विवाह को मंजूरी नहीं दी जा सकती. यह भारतीय परिवार की अवधारणा के खिलाफ है.
सरकार ने 56 पेज के हलफनामे में कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने अपने कई फैसलों में व्यक्तिगत स्वतंत्रता की व्याख्या स्पष्ट की है. इन फैसलों की रोशनी में सभी 15 याचिकाओं को खारिज कर देना चाहिए, क्योंकि इनमें सुनवाई लायक कोई तथ्य नहीं है. मेरिट के आधार पर इन्हें खारिज किया जाना ही उचित है.
कानून में उल्लेख के मुताबिक भी समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं दी जा सकती. उसमें पति और पत्नी की परिभाषा जैविक तौर पर दी गई है. उसी के मुताबिक दोनों के कानूनी अधिकार हैं. केंद्र ने कहा कि आइपीसी की धारा 377 को अपराध की श्रेणी से बाहर करने से समलैंगिक विवाह के लिए मान्यता मांगने के दावे को बल नहीं मिल सकता.