बैंक फ्रॉड मामले में सीबीआई कोर्ट ने छह दोषियों को सुनाई सजा, एक कंपनी पर भी लगाया जुर्माना

Ahmedabad, 15 नवंबर . Ahmedabad की सीबीआई कोर्ट ने बैंक फ्रॉड के एक बड़े मामले में छह लोगों और सूरत की एक प्राइवेट कंपनी को दोषी ठहराया और सजा सुनाई. कोर्ट ने यह फैसला Friday को सुनाया. कोर्ट ने छह दोषियों को तीन साल की जेल और प्रत्येक पर 25-25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया. इसके अलावा दोषी ठहराई गई कंपनी पर भी 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया.

कोर्ट ने जल्पा एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड और इसके डायरेक्टर संजय नागजीभाई पटेल, संगीता संजय पटेल, गारंटर सतीश नागजीभाई दवारा और गारंटर नानुभाई अर्जनभाई मोराडिया के साथ ही श्री राम वीव टेक के डायरेक्टर विपुल नरोत्तमभाई रामानुज और मितुल डी. वाघसिया को इस मामले में दोषी माना.

सीबीआई ने यह केस 1 अप्रैल 2017 को दर्ज किया था. आरोप था कि कंपनी के डायरेक्टर संजय नागजीभाई पटेल और संगीता पटेल ने बैंक ऑफ बड़ौदा, सूरत की एसएमई लोन फैक्ट्री में 14.90 करोड़ रुपए का लोन लेने के लिए आवेदन किया. इसमें 12.90 करोड़ रुपए का टर्म लोन था, जिसे 60 एयर जेट वीविंग मशीनें लगाने और अन्य जरूरी खर्चों के लिए लिया जाना था और 2 करोड़ का कैश क्रेडिट भी शामिल था. लोन के लिए कंपनी ने अपने प्लांट, मशीनरी, स्टॉक और बुक डेब्ट्स को गिरवी रखा और डायरेक्टर व गारंटरों की व्यक्तिगत गारंटी भी दी.

जांच में पता चला कि आरोपियों ने लोन का पैसा उसी उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया, जिस उद्देश्य से बैंक ने पैसा दिया था. इसके बजाय उन्होंने बैंक की धनराशि को अपने निजी फायदे के लिए इस्तेमाल किया. इस धोखाधड़ी के कारण बैंक ऑफ बड़ौदा, एसएसआई साचिन शाखा, सूरत को लगभग 8.48 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ.

सीबीआई ने जांच पूरी होने के बाद 30 दिसंबर 2017 को चार्जशीट दाखिल की. कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद यह पाया कि सभी ने साजिश रची और बैंक को धोखा दिया, इसलिए उन्हें दोषी ठहराया गया. इस दौरान, एक आरोपी शैलेश भिखाभाई सतासिया (श्री काली यम के डायरेक्टर) का ट्रायल के बीच ही निधन हो गया था.

पीआईएम/वीसी