बलूच नरसंहार के कारण और परिणाम

नई दिल्ली, 26 मार्च . बलूचिस्तान जो पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी द्वारा संचालित दमनकारी सैन्य शासन के चंगुल में फंसा हुआ है, जो अपने लोगों पर हो रहे अत्याचारों से जूझ रहा है. यहां की सरकार और पुलिस तंत्र के साथ खुफिया एजेंसी और सेना सब मिलकर बलूच आबादी को निशाना बना रहे हैं. यहां के लोगों को लगातार गायब किया जा रहा है और कईयों की हत्या तक कर दी जा रही है. इसके बाद भी बलूच आबादी पाकिस्तान से अलग होने के लिए छटपटा रही है, संघर्ष कर रही है.

ऐसे में बलूच राष्ट्रीय आंदोलन (बीएनएम) के मानवाधिकार विभाग ने हाल ही में प्रकाशित अपनी रिपोर्ट पैंक में बताया कि फरवरी 2024 में बलूचिस्तान में मानवाधिकार की स्थिति बेहद जटिल रही. इस दौरान यहां लोगों को जबरन गायब किए जाने की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि हुई, यहां की स्थानीय आबादी कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रही है.

फरवरी के महीने में बलूचिस्तान के विभिन्न क्षेत्रों से जबरन 33 लोगों को गायब किए जाने का मामला सामने आया. इसमें से 28 व्यक्तियों को कैद से रिहाई मिल पाई. इसके अलावा, पांच बलूचों को पाकिस्तान के खिलाफ होने का झूठा लेबल लगाकर ऑपरेशन में मार दिया गया.

बलूचिस्तान में गायब हुए लोगों के परिवारों की वकालत करने वाले एक गैर-लाभकारी संगठन ‘वॉयस फॉर बलूच मिसिंग पर्सन्स’ के आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं. इन आंकड़ों की मानें तो 2004 के बाद से बलूच लोगों के गायब होने की संख्या अनुमानित रूप से 7,000 से ज्यादा है. वहीं पाकिस्तान सरकार की जांच आयोग के आंकड़े काफी कम हैं. सरकार द्वारा जनवरी 2024 तक 2,752 मामले ही दर्शाए गए हैं.

ऐसे में दोनों रिपोर्ट में जो बड़ा अंतर नजर आ रहा है, वह साफ दिखा रहा है कि बलूचिस्तान में मानवाधिकार संकट गंभीर है और यहां के लोग लगातार उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं. दोनों रिपोर्टों में विरोधाभास इस चीज की जांच के भी संकेत दे रहे हैं कि बलूचिस्तान में जबरन गायब किए जाने वाले लोगों की गहन और निष्पक्ष जांच तात्कालिक तौर पर की जानी चाहिए.

बता दें कि मार्च के महीने में पाकिस्तानी सेना और बलूच स्वतंत्रता सेनानियों के बीच संघर्ष के बाद पांच व्यक्तियों को पहले जबरन गायब कर दिया गया और हिरासत में रखा गया, फिर उन्हें पाकिस्तान के खिलाफ हमलावर करार दिया गया और मौत के घाट उतार दिया गया.

ऐसे में यह साफ दिखता है कि बलूच केवल अनिश्चितता के माहौल में ही नहीं जी रहे, बल्कि इन्हें गायब कर निराधार आरोप लगाकर जान से भी मार दिया जा रहा है. बलूचों के साथ हो रहा अन्याय, उनके द्वारा सही जा रही गहन पीड़ा और न्याय नहीं मिल पाना यहां के लोगों के लिए मानवीय त्रासदी की भयावह तस्वीर पेश करता है. ऐसे में यहां की स्थिति पर तुरंत अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सामूहिक प्रतिक्रिया की जरूरत है.

बलूचिस्तान में जो कुछ हो रहा है वह ना सिर्फ मौलिक मानवाधिकार सिद्धांतों की अवहेलना है बल्कि सामाजिक चुनौतियों को भी दर्शाता है. बलूच लोग लगातार यहां की भयावह वास्तविकताओं से जूझ रहे हैं, ऐसे में वैश्विक समुदाय को इन बलूचों के न्याय और हक के लिए आवाज उठानी चाहिए.

पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी द्वारा हो रहे बलूचों के लगातार उत्पीड़न की वजह से स्वतंत्रता समर्थक समूहों का यहां उदय हुआ, जिसमें बलूच लिबरेशन आर्मी एक प्रमुख ताकत के रूप में उभरी है. बलूचिस्तान को पाकिस्तान के चंगुल और उसकी दमनकारी नीति से मुक्त कराने और बलूचों को सुरक्षा देने के लिए बलूच लिबरेशन आर्मी बार-बार पाकिस्तानी सेना का सामना करती आ रही है. इनके प्रयासों के ठोस परिणाम भी सामने आए हैं. इनके सशस्त्र समूहों द्वारा किए गए कई सफल अभियानों के कारण यहां के सैन्य चौकियों और हथियारों को जब्त कर लिया गया.

मतलब साफ है कि पाकिस्तान की अंतहीन यातना के बाद भी बलूचिस्तान के लोग संघर्ष कर हैं और उन्हें आशा है कि उन्हें पाकिस्तानी सेना और आईएसआई की इस दमनकारी नीतियों से मुक्ति मिलेगी.

जीकेटी/