यादों में ‘हंस’ : राजेंद्र यादव मतलब बौद्धिक विद्रोह का सिपाही और ‘नई कहानी’ का अंतिम सूत्रधार
New Delhi, 27 अक्टूबर . साल 1986, तारीख 31 जुलाई. यह मुंशी प्रेमचंद की जयंती थी और हिंदी साहित्य जगत में एक ऐसी घटना होने जा रही थी, जिसने आने वाले तीन दशकों तक वैचारिक घमासान मचाए रखा. प्रतिष्ठित पत्रिकाएं आर्थिक चुनौतियों के कारण एक-एक करके दम तोड़ रही थीं, तब ‘नई कहानी’ आंदोलन के … Read more