राजा राधिकारमण सिंह : साहित्य जगत के रत्न, जिनकी रचनाओं ने दी समाज को नई चिंतनधारा
नई दिल्ली, 10 सितंबर . साहित्य के स्वर अनेक हो सकते हैं. वह सामाजिक चेतना के स्वर हो, जनजागरण के स्वर हो, क्रांति के स्वर हो, प्रेम के स्वर हो लेकिन साहित्य कभी आदर्शवाद के स्वर के साथ नहीं चला. क्योंकि साहित्य का लेखन हमेशा से ही कल्पना से परे एक ऐसे आसमान को छूने … Read more