‘गुनाहों का देवता’ को गुजरे 27 बरस, एक रचनाकार जो हर चंदर और सुधा का बना संबल
नई दिल्ली, 4 सितंबर . सर्दियों की हल्की धूप में ना ठंडक और ना गर्मी का अहसास, एक पहाड़ और हर तरफ हरियाली, कानों में कोयल की कूक, सब कुछ सपनों की दुनिया जैसी… अचानक सपना टूटता है, आंखें खुलती है और नजरें किताब के पन्ने पर पड़ती है. आंखों से बाहर निकलने को बेताब … Read more