कविता की महफिल से मुंबई नगरिया तक जिनके कलमों ने लोगों को चखाया ‘बनारसी पान’ का स्वाद

नई दिल्ली, 13 सितंबर . कविता शौक़ के लिए लिखी जाए तो डायरी के पन्नों में कहीं दबकर दम तोड़ देती है. लेकिन, यही कविता जब डायरी के पन्नों से निकलकर संगीत की सरिता से जुड़ फिजाओं में बह निकले तो फिर कहना ही क्या. लोगों को इसी तरह लालजी पाण्डेय ने अपनी कविता से … Read more