यत्र तत्र सर्वत्र : शरद, समाज और सरकार, सिस्टम पर व्यंग्य बाण चलाने वाला साहित्यकार

नई दिल्ली, 5 सितंबर . ‘तुम्हारे आने के चौथे दिन, बार-बार यह प्रश्न मेरे मन में उमड़ रहा है, तुम कब जाओगे अतिथि.’ भले ही यह व्यंग्य लगे. लेकिन, यह हमारे समाज, हमारे परिवार और हमारे समय की सच्चाई है. ऐसा लिखने वाला शख्स समाज की हर उस नब्ज को टटोलने में माहिर है, जिसके … Read more