‘उपन्यास सम्राट’, जिनकी ‘सोजे वतन’ से डर गए थे हुक्मरान, लिखने पर लगाई पाबंदी तो नवाबराय बन गए मुंशी प्रेमचंद

नई दिल्ली, 7 अक्टूबर . मुंशी प्रेमचंद को शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने ‘उपन्यास सम्राट’ का नाम दिया. सहज हिंदी में बोझिल बातों को आसानी से कहकर आंखों से पानी की धार बहा देने का हुनर था प्रेमचंद में. जिन्होंने जो कागजों में लिखा उसे जीवन में भी उतारा. गोदान, रंगभूमि, निर्मला, गबन जैसी अनगिनत कृति रचने … Read more

पिता की ही तरह फंतासी दुनिया रचने में माहिर थे दुर्गा प्रसाद खत्री, बाबू देवकीनंदन की विरासत को खूबसूरती से सहेजा

नई दिल्ली, 4 अक्टूबर . ‘बापे पूत परापत घोड़ा बहुत नहीं तो थोड़ा थोड़ा’…रोहतास मठ जैसा उपन्यास रचने वाले दुर्गा प्रसाद खत्री ने इस कहावत को चरितार्थ भी किया. जिस शख्स के पिता फंतासी दुनिया की सैर कराती चंद्राकांता जैसी कृति गढ़ने वाले हों भला वो कैसे पीछे रहते. उन्होंने भी कहानियां रची, उपन्यास लिख … Read more

स्मृति शेष : ‘दानवीर कर्ण’ से मिली ख्याति, साहित्य की दुनिया के बने ‘मृत्युंजय’

नई दिल्ली, 17 सितंबर . मराठी भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार शिवाजी सावंत ने कई रचनाओं के जरिए अपनी खास पहचान बनाई. 18 सितंबर 2002 को आखिरी सांस लेने वाले शिवाजी सावंत ने अपनी लेखनी से पात्रों को ऐसा रचा कि सभी हमेशा के लिए अमर हो गए, पात्र भी और शिवाजी सावंत भी. उनका जन्म … Read more

शरतचंद्र चट्टोपाध्याय : पारो, चंद्रमुखी और पाठकों के ‘देवदास’, हर शब्द से जीत लिया दिल

नई दिल्ली, 14 सितंबर . मशहूर फिल्म ‘देवदास’ का नाम किसने नहीं सुना होगा. फिल्म के तीन पात्र देवदास, पारो और चंद्रमुखी आज भी लोगों के दिलों में अमर हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि इस फिल्म की कहानी को किसी नॉवेल से लिया गया था. इस नॉवेल को लिखने वाले का नाम है … Read more

बलदेव मिश्र : हिंदी के पहले डी. लिट., रविंद्र नाथ टैगोर से लेकर राजेंद्र प्रसाद तक करते थे पसंद

नई दिल्ली, 12 सितंबर . हिंदी एक भाषा से बढ़कर भारत की आत्मा है. इसे सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र ने सच कर दिखाया. उनकी उपलब्धियां इतनी हैं कि उनके बारे में कुछ शब्दों में लिखना असंभव है. 12 सितंबर 1898 को राजनांदगांव में पैदा हुए बलदेव मिश्र की आज 128वीं जयंती है. इस … Read more

कौन है नीलमणि फूकन जिन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार, पद्मश्री और साहित्य अकादमी से नवाजा गया?

नई दिल्ली, 10 सितंबर . प्रसिद्ध असमिया कवि नीलमणि फूकन (कनिष्ठ) किसी पहचान के मोहताज नहीं. वे ‘जनकवि’ के रूप में भी मशहूर हैं. असम के गोलघाट जिले में 10 सितंबर 1933 को जन्मे नीलमणि फूकन मूलत: असमिया भाषा के भारतीय कवि और कथाकार थे. राजनीति से लेकर कॉस्मिक तक, समकालीन से लेकर आदिम तक, … Read more

“सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं”, सत्ता के गलियारों में गूंजता था दुष्यंत कुमार का नाम

नई दिल्ली, 1 सितंबर . “सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए. हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए.”, ये रचना पढ़ते ही सबसे पहला नाम आता है दुष्यंत कुमार का. जिनकी इस कविता ने क्रांति का ऐसा जोश भरा कि हर ओर सिर्फ उन्हीं की … Read more

शख्सियत शानदार : कश्मीर के दर्द को शब्दों में समेट दुनिया के सामने रखने वाले कलमनवीस जाकिर

नई दिल्ली, 31 अगस्त . इंसान आदिकाल से अपने मन की बात कहने को आतुर रहा है. इसके लिए उसने कभी चित्र बनाए, कभी कलम के भाव कागज पर रचे, तो कभी दीन-दुखियों की सेवा की. मन की व्याकुलता और संवदेनशीलता तब खूब पनपती है, जब उसे शांत और व्यवस्थित माहौल मिले. मन के ऐसे … Read more

उपन्यासकार विक्रम सेठ ने ‘हनुमान चालीसा’ का किया अंग्रेजी में अनुवाद

नई दिल्ली, 22 जून . ‘हनुमान चालीसा’ की काव्यात्मक लय और शाश्वत दर्शन से प्रभावित प्रख्यात उपन्यासकार-कवि विक्रम सेठ ने उसका अंग्रेजी में अनुवाद किया है. ‘हनुमान चालीसा’ से सेठ का परिचय तब हुआ, जब वे 1993 में ‘ए सूटेबल बॉय’ में कपूर परिवार के प्रतिभाशाली बालक भास्कर टंडन का चरित्र लिख रहे थे, जिसने … Read more