काशी का नाग कूप, पाताल लोक से है सीधा कनेक्शन, पूजन से दूर होते हैं कालसर्प-वास्तु दोष

वाराणसी, 17 अप्रैल . “गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्‌…” रावण की रचना ‘शिव तांडव’ में भोलेनाथ के अद्वितीय रूप का वर्णन है. बाबा अपने गले में सर्पों का हार पहने हैं… जहां-जहां भोलेनाथ, वहां-वहां उनके परम भक्त नाग देव. ऐसे में भला शिव की निराली नगरी काशी की बात कैसे न की जाए. जहां एक तरफ संकरी … Read more

शिव की काशी पर मोहित हो गई थीं 64 योगिनियां, यहीं बस गईं, अब चौसट्टी देवी के रूप में होती है पूजा

वाराणसी, 16 अप्रैल . “देखी तुमरी काशी, जहां विराजैं विश्वनाथ विश्वेश्वरजी अविनाशी…” हिंदी साहित्यकार भारतेन्दू हरिश्चंद्र की यह कविता काशी की सुंदरता का उल्लेख करती है. इसी सुंदरता और निरालेपन को देखने के लिए हर साल 10 करोड़ से ज्यादा पर्यटक शिवनगरी पहुंचते हैं. धार्मिक ग्रंथ बताते हैं कि 64 योगिनियां भी काशी आई थीं. … Read more

9 डिग्री के एंगल पर झुका है काशी का प्राचीन रत्‍नेश्‍वर महादेव मंदिर, सावन में नहीं चढ़ा पाते जल

वाराणसी, 14 अप्रैल . भोलेनाथ के त्रिशूल पर टिकी काशी निराली है, निराली हैं वहां की गलियां और निराले हैं ‘बाबा की नगरी’ के मंदिर भी! काशी की धरती पर कदम रखते ही आपको कई ऐसी चीजें दिखेंगी, जिसे देखकर आप हैरत में पड़ जाएंगे. किसी पतली सी गली में हर साल तिल के बराबर … Read more