भारतीय समाज में स्त्री विमर्श की आधार, जिनकी आत्मकथा ने ‘सोच’ पर उठाए सवाल
नई दिल्ली, 19 सितंबर . भारतीय समाज में स्त्रियों को लेकर कई विरोधाभास हैं. एक पुरुष लेखक के दृष्टिकोण से स्त्रियों का स्वरूप सच्चाई से कुछ-कुछ अलग है. लेकिन, स्त्रियों को एक स्त्री ही समग्रता से समझ सकती है. यही काम प्रभा खेतान ने किया. उन्होंने स्त्रियों के हर उस रूप को खुद के अनुसार … Read more