समस्तीपुर, 2 मई . केंद्र सरकार द्वारा जाति जनगणना कराने के फैसले को लेकर सियासी बयानबाजियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं. विपक्षी दल इस फैसले को बिहार विधानसभा चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं और इसे अपने दबाव का नतीजा बता रहे हैं, वहीं समस्तीपुर से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की सांसद शांभवी चौधरी ने इन दावों को सिरे से खारिज करते हुए इस फैसले को जनहित और विकसित भारत के संकल्प से जोड़ा.
शांभवी चौधरी ने शुक्रवार को समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा कि जातिगत जनगणना का फैसला अगर चुनावी उद्देश्य से लिया जाता, तो हम इसे लोकसभा चुनाव से पहले लेते, क्योंकि इससे हमें ज्यादा फायदा होता. जब कोई ऐतिहासिक या मजबूत फैसला लिया जाता है, तब-तब विपक्ष कहता है कि यह चुनाव को देखते हुए लिया गया है. वे भूल जाते हैं कि हम जनता की चुनी हुई सरकार हैं. जनता ने हमें चुना है और हम जो करते हैं, वह जनहित को ध्यान में रखकर करते हैं. यह आरोप पूरी तरह गलत है कि यह फैसला सिर्फ बिहार के लिए है. यह देश के सभी राज्यों को फायदा पहुंचाएगा.
उन्होंने कहा कि जाति जनगणना से हमें नया डेटा मिलेगा, जिससे नीतियों और योजनाओं का निर्माण बेहतर होगा. हम समाजशास्त्र के छात्र रहे हैं और हमेशा कहते हैं कि आंकड़े बहुत जरूरी हैं. हमारे लिए यह जानना जरूरी है कि सरकारी योजनाएं सही लोगों तक पहुंच रही हैं या नहीं. यह जनगणना योजनाओं के लिए एक मजबूत आधार बनेगी. यह कहना गलत है कि यह फैसला सिर्फ चुनाव के लिए लिया गया. यह विकसित भारत के संकल्प को साकार करने के लिए है और इससे भविष्य में हर राज्य को लाभ होगा.
कांग्रेस और ‘महागठबंधन’ के दबाव में यह फैसला लेने के विपक्ष के दावे को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि राजनीति को इतना छोटा नहीं करना चाहिए कि हम कहें यह हमारे दबाव से हुआ. हम जनता की चुनी हुई सरकार हैं और जनता के लिए फैसले लेते हैं. आप जाति जनगणना की मांग कर रहे थे और कह रहे हैं कि यह आपके दबाव से हुआ. हम आपसे पूछते हैं कि जब आपकी सरकार थी, तब आपने जाति जनगणना क्यों नहीं कराई? जब मनमोहन सिंह जी प्रधानमंत्री थे, तब भी यह मांग उठी थी. कमेटी बनी, रिपोर्ट बनी, लेकिन आपने उसे किनारे कर दिया. वक्फ के मुद्दे पर भी हमने उस समय की कमेटी की रिपोर्ट पर कार्रवाई की.
शांभवी चौधरी ने कहा कि कांग्रेस में ऐतिहासिक फैसले लेने की हिम्मत और ताकत नहीं थी. यह हिम्मत और मजबूती सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में थी, जिन्होंने जनहित, देशहित और अखंड भारत के लिए यह फैसला लिया.
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पीएसके/एकेजे