New Delhi, 17 जून . जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने Tuesday को जातिगत आधारित जनगणना को देश की जरूरत बताया. साथ ही देश के मुसलमान वर्गों से इसमें सहभागिता करने की बात दोहराई.
उन्होंने एक बयान जारी करते हुए देश में होने वाली जाति आधारित जनगणना का जोरदार समर्थन किया है. उन्होंने आशा व्यक्त की है कि यह प्रक्रिया न्यायपूर्ण शासन, सही नीति निर्माण और संसाधनों के समान वितरण को सुनिश्चित करेगी.
मौलाना मदनी ने कहा, “जाति आधारित जनगणना अब केवल एक Governmentी औपचारिकता नहीं रही, बल्कि यह एक सामाजिक और Political आवश्यकता बन चुकी है. इससे मिलने वाले आंकड़े आरक्षण नीति, सामाजिक विकास योजनाओं और कल्याणकारी लाभों के निष्पक्ष वितरण पर सीधा प्रभाव डालेंगे.”
उन्होंने कहा, “मुसलमान इस जनगणना प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लें. हर मुस्लिम परिवार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी प्रचलित जाति की पहचान सही तरीके से दर्ज हो.”
जमीयत उलेमा-ए-हिंद की स्थानीय इकाइयों, सभी मुस्लिम संगठनों, धार्मिक संस्थाओं और समुदाय के नेताओं से अनुरोध किया गया है कि वे आम लोगों का मार्गदर्शन करें और उन्हें इस प्रक्रिया के दीर्घकालिक प्रभावों से अवगत कराएं.
मौलाना मदनी ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कदम इस्लामी बराबरी के सिद्धांतों के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह एक व्यावहारिक आवश्यकता है. उन्होंने कहा, “इस्लाम एक समानता-आधारित समाज का समर्थन करता है, लेकिन India में मुसलमानों का एक बड़ा हिस्सा सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा रह गया है. अब समय आ गया है कि हम इसे एक नैतिक और संवैधानिक कर्तव्य समझकर, सबसे अधिक वंचित तबकों, विशेषकर पिछड़े और कमजोर मुसलमानों को न्याय दिलाने का प्रयास करें.”
उन्होंने कहा, “हम India Government से मांग करते हैं कि जाति आधारित जनगणना में पारदर्शिता, निष्पक्षता और गंभीरता से कार्य किया जाए और किसी भी समुदाय के साथ भेदभाव न किया जाए.”
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एससीएच/एबीएम