बांग्लादेश में देवी काली के मुकुट की चोरी का मामला, शक के घेरे में मंदिर के मुख्य पुजारी और कर्मचारी

ढाका, 14 अक्टूबर . बांग्लादेश में देवी काली के सोने का मुकुट चोरी होने के मामले में मुख्य पुजारी और मंदिर के कर्मचारी शक के घेरे में हैं. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने दावा किया कि मामले की जांच जारी है और अब तक 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने सोमवार दोपहर एक बयान में कहा, “10 अक्टूबर 2024 को दक्षिणी बांग्लादेश के सतखीरा जिले में जेशोरेश्वरी काली मंदिर में एक स्वर्ण मुकुट की चोरी के मामले में यह सामने आया कि मुख्य पुजारी ने दोपहर 2.30 बजे तक अपने नियमित पूजा अनुष्ठान किए थे, उस वक्त तक मुकुट मंदिर के अंदर बरकरार था. यह पता लगाने के लिए जांच चल रही है कि पुजारी और मंदिर के कर्मचारियों ने इतनी कीमती संपत्ति को बिना सुरक्षा के क्यों छोड़ दिया. चोरी के मामले में चार व्यक्तियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है.”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 फरवरी, 2021 को मंदिर की अपनी यात्रा के दौरान मुकुट उपहार के रूप में दिया था.

शनिवार को भारत ने मुकुट की चोरी पर गंभीर चिंता व्यक्त की. नई दिल्ली ने ढाका में अंतरिम सरकार से हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों और उनके पूजा स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की.

विदेश मंत्रालय ने 12 अक्टूबर को एक बयान में कहा, “हमने ढाका के तांतीबाजार में पूजा मंडप पर हमले और सतखीरा में प्रतिष्ठित जेशोरेश्वरी काली मंदिर में चोरी की घटना पर गंभीर चिंता व्यक्त की. ये निंदनीय घटनाएं हैं. ये मंदिरों और देवताओं को अपवित्र करने और नुकसान पहुंचाने की एक व्यवस्थित प्रवृत्ति का अनुसरण हैं, जिसे हम पिछले कई दिनों से देख रहे हैं.”

5 अगस्त को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता छोड़ने और देश छोड़कर भाग जाने के बाद से हिंदु समुदाय को बार-बार निशाना बनाया जा रहा है.

हालांकि, सोमवार को विदेश मंत्रालय के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसे ऐसे आरोप ‘निराधार’ और दावे ‘गैर-जरूरी’ लगते हैं.

बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने कहा, “ऐसी कुछ ही घटनाएं सामने आईं, जिन पर सरकारी अधिकारियों ने त्योहारों के दौरान हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तुरंत कार्रवाई की.’

इसमें कहा गया, “बांग्लादेश सरकार दृढ़तापूर्वक पुष्टि करती है कि प्रत्येक व्यक्ति को, चाहे उसकी आस्था, धर्म या विश्वास कुछ भी हो, बिना किसी बाधा के संबंधित धार्मिक अनुष्ठानों या प्रथाओं को करने, बनाए रखने करने का अधिकार है. बांग्लादेश में 32,000 से अधिक पूजा मंडपों में दुर्गा पूजा के शांतिपूर्ण आयोजन से इसकी पुष्टि होती है.”

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