New Delhi, 6 अगस्त . केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने Wednesday को कहा कि पावरलूम के मुकाबले हैंडलूम 41 प्रतिशत कम उत्सर्जन करता है. क्योंकि पावरलूम यानी बिजली से चलने वाली मशीन हैंडलूम के बुनाई, रंगाई और पैकेजिंग से चार गुना अधिक कार्बन का इस्तेमाल करती है.
Union Minister सिंह ने उद्योग भवन में ‘हैंडलूम सेक्टर में कार्बन फुटप्रिंट आकलन’ पर आधारित पुस्तक के लॉन्च कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बातचीत में कहा, “विकसित देशों द्वारा किए कार्बन उत्सर्जन का खामियाजा पूरी दुनिया को भुगतना पड़ रहा है, जिसकी वजह से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ चुका है. ऐसी स्थिति में India के कपड़ा मंत्रालय का ध्यान इस ओर गया कि कार्बन फुटप्रिंट को किस प्रकार कम किया जाए, जिसकी पहली शुरुआती हैंडलूम बनाम पावरलूम से की गई है.”
Union Minister गिरिराज सिंह ने social media प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में इस कार्यक्रम को लेकर जानकारी देते हुए कहा, “आज उद्योग भवन में वस्त्र मंत्रालय और आईआईटी दिल्ली की साझा स्टडी ‘हैंडलूम सेक्टर में कार्बन फुटप्रिंट आकलन’ पर आधारित पुस्तक का लोकार्पण किया.”
उन्होंंने आगे कहा कि रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ कि भारतीय हैंडलूम उत्पाद पर्यावरण पर बेहद कम प्रभाव डालते हैं और इनका कार्बन उत्सर्जन भी कम है. यह रिपोर्ट परंपरा और इको फ्रेंडली प्रैक्टिस के अद्भुत संतुलन का प्रमाण है.
Union Minister गिरिराज सिंह ने आगे कहा, “हमें अपने बुनकरों और उनकी सस्टेनेबल कारीगरी पर गर्व है.”
आईआईटी दिल्ली के अनुसार, हथकरघा क्षेत्र ग्रामीण और अर्ध-ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें 35 लाख से अधिक लोग जुड़े हुए हैं, जिनमें 25 लाख से ज्यादा महिला बुनकर और संबद्ध श्रमिक शामिल हैं. यह क्षेत्र महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का एक महत्वपूर्ण वाहक है.
यह रिपोर्ट India भर के वास्तविक केस स्टडीज के माध्यम से कार्बन फुटप्रिंट मापने के सरल चरण प्रस्तुत करती है, जिसमें सूती चादरें, फर्श की चटाई, बनारसी साड़ियां और कई अन्य प्रतिष्ठित हथकरघा उत्पाद शामिल हैं. इसमें हथकरघा क्षेत्र के लिए विशेष रूप से तैयार की गई लागत-प्रभावी डेटा संग्रह और उत्सर्जन माप तकनीकों का भी विवरण दिया गया है, जिसका उद्देश्य पर्यावरण के अनुकूल उत्पादन प्रथाओं को बढ़ावा देना है.
प्रो. बिपिन कुमार ने इस क्षेत्र में कार्बन फुटप्रिंट आकलन को समझने और उन महत्वपूर्ण बिंदुओं की पहचान करने के लिए सभी हितधारकों को शामिल करने के महत्व पर बल दिया, जहां प्रभावी शमन उपायों को लागू किया जा सकता है.
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