दिल्ली: ग्रैप-4 लागू होने की खबरें झूठी और भ्रामक, सीएक्यूएम ने किया खंडन

New Delhi, 18 नवंबर . वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने Tuesday को ग्रैप को लेकर social media और कुछ समाचार चैनलों पर फैलाई जा रही भ्रामक सूचनाओं पर स्पष्टीकरण जारी किया. आयोग ने साफ शब्दों में कहा है कि ग्रैप के चौथे चरण लागू होने संबंधी खबरें पूरी तरह गलत और भ्रामक हैं.

आयोग ने बताया कि फिलहाल पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में ग्रैप का तीसरा चरण लागू है और इसमें किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया गया है. इसके बावजूद, कुछ डिजिटल प्लेटफॉर्म और टीवी चैनल ग्रैप के चौथे चरण के लागू होने का दावा कर रहे हैं, जिससे आम जनता में भ्रम की स्थिति बन गई है.

सीएक्यूएम ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण से जुड़ी किसी भी जानकारी के लिए नागरिकों और संबंधित विभागों को केवल आयोग द्वारा जारी आधिकारिक अपडेट, नोटिफिकेशन और प्रेस रिलीज पर भरोसा करना चाहिए. गलत और अपुष्ट जानकारी साझा करना न केवल जनता को भ्रमित करता है, बल्कि प्रदूषण प्रबंधन से जुड़ी तैयारियों और निर्देशों को लेकर असमंजस भी पैदा करता है.

आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि ग्रैप के किसी अगले चरण के लागू होने या मौजूदा चरण में बदलाव संबंधी निर्णय की आधिकारिक घोषणा केवल सीएक्यूएम द्वारा ही की जाएगी. साथ ही, लोगों से अपील की गई है कि वे असत्यापित खबरों पर ध्यान न दें.

बता दें कि 11 नवंबर को दिल्ली-एनसीआर ग्रैप के तीसरे चरण के प्रतिबंध लागू किए गए थे. इस स्तर को तब लागू किया जाता है जब वायु गुणवत्ता ‘सीवियर’ श्रेणी में पहुंच जाती है, यानी हवा में प्रदूषक तत्वों का स्तर स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हो जाता है. ग्रैप का तीसरा चरण लागू होने के साथ ही नोएडा प्राधिकरण ने शहर में कई कड़ी पाबंदियों की घोषणा की है.

आदेश के अनुसार, नोएडा क्षेत्र में मेट्रो, अस्पताल और फ्लाईओवर से जुड़ी परियोजनाओं को छोड़कर बाकी सभी निर्माण कार्य तुरंत बंद कर दिए जाएंगे. धूल और प्रदूषक कणों की बड़ी मात्रा निर्माण गतिविधियों से फैलती है, इसलिए यह प्रतिबंध वायु गुणवत्ता सुधारने में महत्वपूर्ण माना जा रहा है. साथ ही, नोएडा में चलने वाले बीएस-3 पेट्रोल और बीएस-4 डीजल के चार पहिया वाहन प्रतिबंधित कर दिए गए हैं.

इसके अलावा, शहर में कंक्रीट मिश्रण (आरएमसी) प्लांट और स्टोन क्रशर भी अगले आदेश तक बंद रहेंगे, क्योंकि ये धूल और कणीय पदार्थ (पीएम) को हवा में बड़े पैमाने पर फैलाते हैं. इसी तरह भवनों के ध्वस्तीकरण (डिमोलिशन) पर भी पूर्ण रोक लगा दी गई है.

पीएसके