कोलकाता, 20 फरवरी . कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने मंगलवार को संदेह व्यक्त किया कि कहीं तृणमूल कांग्रेस नेता और संदेशखाली में ईडी तथा सीएपीएफ कर्मियों पर 5 जनवरी को हुए हमले के फरार आरोपी मास्टरमाइंड शेख शाहजहां को किसी प्रकार की सुरक्षा तो नहीं दी जा रही.
कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम ने मंगलवार को टिप्पणी की, “मुझे नहीं पता कि ऐसा व्यक्ति किसी तरह की सुरक्षा में है या नहीं. लेकिन ऐसा लगता है कि या तो वह राज्य पुलिस की पहुंच से बाहर चला गया है या वह किसी तरह के संरक्षण में है.”
उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न राज्य और जांच एजेंसियां फरार नेता को कलकत्ता उच्च न्यायालय में आत्मसमर्पण करने के लिए कह सकती हैं. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “उनके बारे में विवाद काफी समय से चल रहे थे. शेख शाहजहाँ सार्वजनिक रूप से आ सकते थे और अपने खिलाफ लगे ज़मीन हड़पने के आरोपों से इनकार कर सकते थे.”
उन्होंने यह भी कहा कि एक निर्वाचित जन प्रतिनिधि के रूप में, जिसे लोकप्रिय जनादेश द्वारा चुना गया है, शेख शाहजहाँ को अपनी बात जनता के सामने रखनी चाहिए. “एक निर्वाचित जन प्रतिनिधि के रूप में उन्हें जन कल्याण के लिए काम करना चाहिए था. लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि वह जनहित के खिलाफ काम कर रहे हैं”.
कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अपूर्ब सिन्हा रॉय की एकल-न्यायाधीश पीठ ने संदेशखाली में हाल के घटनाक्रम पर 13 फरवरी को स्वत: संज्ञान लिया और दो अलग-अलग मामलों की सुनवाई की अनुमति दी. पहला मामला स्थानीय लोगों की जमीन जबरदस्ती हड़पने का और दूसरा बंदूक की नोंक पर स्थानीय महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने का है.
हालाँकि, बाद में न्यायमूर्ति सिन्हा रॉय ने मामले को न्यायमूर्ति शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ को भेज दिया. मंगलवार दोपहर मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने ये टिप्पणियां कीं.
ईडी और सीएपीजी अधिकारियों पर 5 जनवरी को हुए हमले को डेढ़ महीना बीत चुका है. इसके बावजूत पुलिस अब तक उसे गिरफ्तार नहीं कर सकी है. संदेशखाली स्थानीय महिलाओं के विरोध-प्रदर्शन से हिल गया है, जो शाहजहाँ के करीबी सहयोगियों द्वारा उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न और हिंसा की शिकायत कर रही हैं.
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एकेजे/