रांची, 25 अगस्त . झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन Monday को सदन में पेश हुई सीएजी रिपोर्ट ने सरकार के कई विभागों की गंभीर लापरवाहियां और गड़बड़ियां उजागर कर दीं.
वित्तीय वर्ष 2022-23 के अनुपालन प्रतिवेदन में साफ कहा गया है कि करोड़ों रुपए की लागत से ली गई कई योजनाओं का आम जनता को कोई लाभ नहीं मिला.
रिपोर्ट के मुताबिक, पथ निर्माण विभाग ने सड़क चौड़ीकरण की एक योजना पर 19.15 करोड़ रुपए खर्च किए, लेकिन कार्यपालक अभियंता और भू-अर्जन पदाधिकारी के बीच समन्वय की कमी से रकम बर्बाद हो गई.
इसी विभाग ने दामोदर और गवई नदी पर दो पुलों के लिए 15.09 करोड़ रुपए खर्च किए. पुल तो बन गए, लेकिन पहुंच पथ का निर्माण नहीं हुआ, क्योंकि जमीन अधिग्रहण ही नहीं किया गया. नतीजा यह कि इस पुल का कोई उपयोग नहीं हो पाया.
सीएजी ने बोकारो के चंदनकियारी प्रखंड में ग्रामीण विकास विभाग की एक योजना में 5.09 करोड़ रुपए की बर्बादी पकड़ी. इस राशि से बनी मॉल जैसी इमारत आज तक इस्तेमाल ही नहीं हुई.
यही नहीं, विभाग ने वेब आधारित अकाउंट प्रबंधन प्रणाली पर 1.77 करोड़ रुपए खर्च किए, लेकिन यह प्रणाली अब तक काम ही नहीं कर रही है.
कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग ने 2014 में 16 शीतगृह और छंटाई केंद्रों पर 3.67 करोड़ रुपए खर्च किए. लेकिन, एक दशक गुजरने के बाद भी इनमें काम शुरू नहीं हुआ.
अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने जमशेदपुर के धालभूमगढ़ में 50 बिस्तरों वाला अस्पताल 1.55 करोड़ रुपए खर्च कर बना दिया, पर तीन साल बाद भी बंद पड़ा है.
रिपोर्ट में कुल मिलाकर करीब 41.10 करोड़ की ऐसी योजनाओं की स्थिति उजागर की गई है, जिनसे आम जनता को कोई लाभ नहीं मिला.
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एसएनसी/एबीएम