नई दिल्ली, 11 सितंबर . कैबिनेट ने बुधवार को 12,461 करोड़ रुपये के कुल व्यय के साथ जलविद्युत परियोजनाओं (एचईपी) के लिए बुनियादी ढांचे को सक्षम करने की लागत के लिए बजटीय सहायता की संशोधित योजना को मंजूरी दे दी.
लगभग 31,350 मेगावाट की उत्पादन क्षमता के लिए विद्युत मंत्रालय की संशोधित योजना वित्त वर्ष 2024-25 से वित्त वर्ष 2031-32 तक लागू की जाएगी.
कैबिनेट ने कहा, “यह संशोधित योजना पनबिजली परियोजनाओं के तेजी से विकास में मदद करेगी, दूरदराज और पहाड़ी परियोजना स्थानों में बुनियादी ढांचे में सुधार करेगी और अप्रत्यक्ष नौकरियों के साथ-साथ स्थानीय लोगों को बड़ी संख्या में प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करेगी.”
यह जल विद्युत क्षेत्र में नए निवेश को प्रोत्साहित करेगा और नई परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करेगा.
सरकार पनबिजली विकास में बाधा डालने वाले मुद्दों जैसे दूरदराज के स्थानों, पहाड़ी क्षेत्रों, बुनियादी ढांचे की कमी आदि के समाधान के लिए कई नीतिगत पहल कर रही है.
पनबिजली क्षेत्र को बढ़ावा देने और इसे और अधिक बेहतर बनाने के लिए, कैबिनेट ने मार्च 2019 में बड़े पनबिजली परियोजनाओं को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के रूप में घोषित करने के साथ ही बजटीय समर्थन जैसे उपायों को मंजूरी दी.
यह योजना 25 मेगावाट से अधिक क्षमता की सभी जलविद्युत परियोजनाओं पर लागू होगी, जिसमें निजी क्षेत्र की परियोजनाएं भी शामिल हैं, जिन्हें पारदर्शी तरीके से आवंटित किया गया है.
यह योजना कैप्टिव/मर्चेंट पीएसपी सहित सभी पंप स्टोरेज परियोजनाओं (पीएसपी) पर भी लागू होगी, बशर्ते कि परियोजना पारदर्शी आधार पर आवंटित की गई हो. कैबिनेट के अनुसार, इस योजना के तहत लगभग 15,000 मेगावाट की संचयी पीएसपी क्षमता को समर्थन दिया जाएगा.
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