
झुंझुनूं स्टेट जीएसटी टीम ने जिले के मलसीसर व बास बुड़ाना में कार्रवाई करते हुए दो फर्जी फर्मो को पकड़ा है. दोनों ही फर्म अपने पते पर संचालित नहीं थी. और तो और एक फर्म के पते पर किसी और का आवासीय मकान बना हुआ मिला. मकान मालिक खेत में काम करते हुए मिला.
फर्म के मालिक के बारे में पूछताछ करने पर कोई जानकारी नहीं होना बताया. दोनों ही फर्म कागजों में 430 लाख रुपए का फर्जी टर्नओवर दिखाकर अन्य फर्मों को फर्जी इनपुट टैक्टस क्रेडिट का लाभ दे रही थी.
सहायक आयुक्त सुनील जानू ने बताया कि जीएसटी पोर्टल पर उपलब्ध फर्मों के रिकॉर्ड की जांच में मलसीसर में संचालित लोहा स्क्रैप की फर्म मै. एस. एस. इन्टरनेशनल एवं गांव- बास बुडाना में संचालित ठेकेदारी फर्म मै. योगेन्द्र सिंह के फर्जी होने का संदेह हुआ.
इसके बाद बीकानेर संभाग के अतिरिक्त आयुक्त निहालचंद बिश्नोई के निर्देश पर इन दोनों फर्मों के विरुद्ध जांच व सर्च की कार्यवाही के लिए पहले टीम मलसीसर पहुंची. फर्म पंजीयन में घोषित पते पर फर्म का संचालन होना नहीं पाया गया. आस-पडोस के लोगों से पूछताछ में फर्म व मालिक के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली. फर्म मालिक सुखविंदर पुत्र बलवीर के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली. फर्म मालिक सुखविंदर पंजाब के टिब्बी अमलोह का रहने वाला है. फर्म कागजों में पिछले दो साल से इस पते पर संचालित थी.
रिकॉर्ड की विस्तृत जांच में पाया गया कि इस फर्म द्वारा कागजों में 395 लाख रुपये का बोगस टर्नओवर दिखाकर करीब 71 लाख रुपये के फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ राजस्थान व दूसरे राज्यों के व्यापारियों को दिया गया है.
इसके बाद टीम ठेकेदारी फर्म मै. योगेन्द्र सिंह की जांच के लिए बास बुडाना गांव पहुंची. पंजीयन में फर्म के दिये गये पते पर भंवर सिंह पुत्र अमर सिंह निवासी बास बुडाना का आवासीय मकान मिला. भंवर सिंह खेत में काम करते हुए मिला. भंवर सिंह से पूछताछ में मै. योगेन्द्र सिंह नाम की किसी फर्म या फर्म मालिक योगेन्द्र सिंह पुत्र जयपाल सिंह के बारे में कोई भी जानकारी नहीं मिली. फर्म मालिक योगेन्द्र सिंह उत्तर प्रदेश के इटा जिले के गांव नागला धानु का रहने वाला है. भंवर सिंह ने यह भी बताया कि न तो उसने अपने घर का बिजली बिल कभी किसी को दिया तथा न ही कभी किसी को अपने घर का किरायानामा बनवाकर दिया.
उसे तो यह भी नहीं पता कि उसके घर के पते पर कोई फर्जी फर्म कागजों में संचालित है. इस फर्म द्वारा कागजों में 35 लाख रुपये का बोगस टर्नओवर दिखाकर 6.25 लाख रु. के फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ दूसरी फर्मों को दिया जाना पाया गया.
भंवर सिंह व गवाहों की उपस्थिति में जीएसटी टीम ने मौका फर्द बनायी तथा विस्तृत जांच के बाद उक्त दोनों फर्मों के फर्जी होने को प्रमाणित मानते हुए सहायक आयुक्त सुनील जानू ने दोनों फर्मों के पंजीयन को निलंबित कर दिया तथा विस्तृत रिपोर्ट बनाकर उच्चाधिकारियों को भेज दी है.