बूंदी उत्सव 2025: सुखमहल में विदेशी मेहमानों की हुई ‘लड्डू-बाटी’ से मनुहार

बूंदी, 9 नवंबर . राजस्‍थान में छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध बूंदी में चल रहे बूंदी उत्सव 2025 की विदेशी सैलानियों ने तारीफ की. इस दौरान सुखमहल की मनमोहक प्राकृतिक छटा के बीच विदेशी मेहमानों की मान-मनुहार का एक आकर्षक कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस विशेष आयोजन में देशी और विदेशी संस्कृति का ऐसा अनूठा संगम देखने को मिला, जिसने सभी मेहमानों का मन मोह लिया और Rajasthan की लोक परंपरा की छवि को और भी आकर्षक बना दिया.

बूंदी उत्सव के तहत आयोजित इस कार्यक्रम में विदेशी मेहमानों का स्वागत पूरी तरह से हाड़ौती की पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार किया गया. रानी रोहिणी देवी राजपूत फाउंडेशन की ओर से विदेशी अतिथियों का Rajasthan ी परंपरा के अनुरूप तिलक लगाकर और पुष्प भेंट कर स्वागत किया गया. कार्यक्रम स्थल पर ‘अतिथि देवो भवः’ की भारतीय भावना का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत हुआ, जिसने विदेशी मेहमानों को भारतीय संस्कृति की गहराई से अवगत कराया.

इस अवसर पर लोक कलाकारों ने Rajasthan ी लोकगीतों और नृत्यों की प्रस्तुतियां दी. इससे समूचा माहौल उत्साह और उमंग से भर गया. ढोलक, नगाड़े और लोक वाद्ययंत्रों की मधुर ध्वनि पर विदेशी सैलानी भी थिरकते नजर आए.

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण हाड़ौती क्षेत्र का प्रसिद्ध व्यंजन लड्डू-बाटी रहा. विदेशी मेहमानों को बड़े चाव से यह पारंपरिक भोजन परोसा गया. उन्होंने न केवल इसका स्वाद चखा, बल्कि इस अनुभव को भारतीय संस्कृति की आत्मा से जुड़ा हुआ बताया. कई विदेशी अतिथियों ने कहा कि यह स्वाद और आतिथ्य उनके लिए जीवनभर की याद बन जाएगा.

विदेशी मेहमानों ने Rajasthan की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, अनोखे आतिथ्य और लजीज व्यंजनों की खुलेमन से प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि बूंदी उत्सव ने उन्हें India की जीवंत परंपराओं से रूबरू कराया.

बता दें कि बूंदी महोत्सव 2025 की शुरुआत 8 नवंबर को बड़े धूमधाम के साथ गढ़ पैलेस में हुई. Rajasthan के हाड़ौती क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, लोक नृत्य, संगीत, हस्तशिल्प और परंपरागत जीवनशैली की सुंदर झलक इस उत्सव में देखने को मिल रही है. यह आयोजन प्रदेश की सांस्कृतिक पहचान को बढ़ावा देने और पर्यटन को नई गति देने में अहम भूमिका निभाएगा.

एएसएच/डीकेपी