बजट 2025-26 : सस्टेनेबिलिटी और आत्मनिर्भर रीसाइक्लिंग इकोसिस्टम पर फोकस की उम्मीद

नई दिल्ली, 31 जनवरी . केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शनिवार को लोकसभा में वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश करेंगी. समय की मांग को देखते हुए सस्टेनेबिलिटी और संसाधनों के मामले में आत्मनिर्भरता पर पहले से कहीं अधिक फोकस की उम्मीद है.

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ई-कचरा उत्पादक देश है. यहां सालाना 32 लाख टन से ज्यादा ई-कचरा पैदा होता है. उद्योग जगत के नेता रणनीतिक नीतिगत उपायों के पक्ष में हैं, जिसमें रीसाइक्लिंग क्षेत्र के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना, अपशिष्ट प्रबंधन पर जीएसटी की दर पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत करने के फैसले को वापस लेना और अत्याधुनिक रीसाइक्लिंग तकनीकों में निवेश बढ़ाना शामिल है.

देश वर्तमान में अपने महत्वपूर्ण खनिजों का 90 प्रतिशत से ज्यादा आयात करता है, जिससे अर्थव्यवस्था वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की कमजोरियों के सामने आ जाती है. आगामी बजट हाल ही में घोषित राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन पर आगे काम करने और एक आत्मनिर्भर सर्कुलर अर्थव्यवस्था बनने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है.

एटरो के सीईओ और सह-संस्थापक नितिन गुप्ता ने कहा, “भारत ई-कचरे के उत्पादन में तेजी से वृद्धि के कारण रीसाइक्लिंग क्रांति की ओर अपनी यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है. ई-कचरे का उत्पादन 2019 और 2023 के बीच 73 प्रतिशत बढ़ गया है. ‘क्रिटिकल मिनरल्स मिशन’ का शुभारंभ संसाधनों के लिए एक आत्मनिर्भर पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते हुए इस चुनौती का समाधान ढूंढ़ने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है.”

गुप्ता ने कहा, “प्रगति को और तेज करने के लिए, हम रीसाइक्लिंग उद्योग के लिए एक पीएलआई योजना शुरू करने की पुरजोर वकालत करते हैं. ऐसी नीति न केवल उन्नत रीसाइक्लिंग प्रौद्योगिकियों में निवेश को प्रोत्साहित करेगी, बल्कि बड़े पैमाने पर क्षमता निर्माण की सुविधा भी प्रदान करेगी, जिससे महत्वपूर्ण खनिजों के लिए आयात पर निर्भरता कम होगी.”

गुप्ता ने कहा कि भले ही चीन महत्वपूर्ण खनिजों का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है, लेकिन भारत को आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए रीसाइक्लिंग और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने वाली नीतियां अपनानी चाहिए. ई-कचरे और लिथियम-आयन बैटरियों से महत्वपूर्ण खनिजों के उत्पादन और उपयोग के लिए मजबूत नीतिगत समर्थन आवश्यक है.

गुप्ता ने कहा, “इसमें ईवी बैटरी और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे एंड-ऑफ-लाइफ उत्पादों से लिथियम, कोबाल्ट और निकेल जैसी उच्च-मूल्य वाली सामग्रियों के कुशल बचाव पर केंद्रित प्रयास शामिल हैं. इस तरह के उपाय एक निर्बाध ढांचे को सक्षम करेंगे जो एक सर्कुलर अर्थव्यवस्था के निर्माण को आगे बढ़ाने के लिए एक मजबूत वैल्यू चेन के साथ विस्तारित उत्पादक जिम्मेदारी (ईपीआर) तंत्र को एकीकृत करता है. हम हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने और उनके विनिर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू की गई फेम योजना जैसी पहलों का भी स्वागत करते हैं. हम ऐसे पूरक उपायों की भी आशा करते हैं जो ईवी बैटरी और अन्य ई-कचरे के घटकों के घरेलू रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देते हैं.”

इकोएक्स के संस्थापक और प्रबंध निदेशक निमित अग्रवाल ने कहा कि हाल ही में जीएसटी संशोधनों के कारण अपशिष्ट प्रबंधन क्षेत्र एक चौराहे पर है. अग्रवाल ने कहा, “पांच प्रतिशत से 18 प्रतिशत की वृद्धि ने महत्वपूर्ण चुनौतियां पेश की हैं, खासकर उन व्यवसायों के लिए जो नवाचार करने और स्थिरता लक्ष्यों में योगदान करने का प्रयास कर रहे हैं. हम सरकार से आगामी बजट में जीएसटी वृद्धि को वापस लेने पर विचार करने का आग्रह करते हैं. इसके अलावा, रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (आरसीएम) एक समाधान जरूर है, लेकिन इसने अनुपालन की जटिलता को बढ़ा दिया है, खासकर एसएमई के लिए.”

उन्होंने आरसीएम को और अधिक सुव्यवस्थित करने या अपशिष्ट प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण उद्योगों को छूट देने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे व्यवसायों को अपने मूल मिशन पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी.

“अपशिष्ट प्रबंधन क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने, नवाचार का समर्थन करने और मजबूत बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के लिए एक सहायक कर व्यवस्था आवश्यक है. अग्रवाल ने कहा, “हम संतुलित जीएसटी संरचना बनाने के लिए सरकार से समर्थन की उम्मीद करते हैं जो सतत विकास का निर्माण करती है और देश के पर्यावरणीय उद्देश्यों के साथ मेल खाती है.”

रीसाइकल के संस्थापक और सीईओ अभय देशपांडे ने 2024 के बजट में क्रिटिकल मिनरल्स मिशन और प्रत्याशित उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की शुरू करने की सराहना की.

उन्होंने कहा, “भारत क्रिटिकल मिनरल्स के लिए आयात पर बहुत अधिक निर्भर है, इसलिए घरेलू रीसाइक्लिंग बुनियादी ढांचे को मजबूत करना एक रणनीतिक आवश्यकता बन गई है. रेअर अर्थ एलिमेंट्स और क्रिटिकल मिनरल्स की वसूली के लिए ई-कचरा और बैटरी रीसाइक्लिंग महत्वपूर्ण हैं, खासकर जब वैश्विक उत्पादन कुछ ही देशों में केंद्रित है.”

इस निर्भरता को कम करने के लिए, भारत को उन्नत रीसाइक्लिंग प्रौद्योगिकियों के विकास, अत्याधुनिक सुविधाओं के लिए वित्तीय सहायता और क्रिटिकल मिनरल्स के उत्पादन के लिए अनुसंधान एवं विकास में निवेश को प्राथमिकता देनी चाहिए.

देशपांडे ने कहा, “इसके अलावा, प्लास्टिक कचरे और रीसाइक्लिंग मशीनरी दोनों के लिए जीएसटी को ‘शून्य’ करने से रीसाइक्लिंग प्रयासों को काफी प्रोत्साहन मिलेगा और उन्नत प्रौद्योगिकियों को अपनाने में तेजी आएगी.”

आम बजट 2025-26 में भारत के अपशिष्ट प्रबंधन और क्रिटिकल मिनरल्स उत्पादन के परिदृश्य में भारी सुधार की संभावना है. लिथियम, कोबाल्ट और निकेल की वैश्विक मांग 2050 तक 500 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है. इसलिए घरेलू आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित करना अनिवार्य है.

एक संतुलित और दूरदर्शी बजट न केवल सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा, बल्कि देश को संसाधन दक्षता और स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण में अग्रणी के रूप में भी स्थापित करेगा.

एकेजे/