बोधगया महाबोधि महाविहार के लिए बौद्ध समुदाय ने उठाई आवाज, निकाला जनाक्रोश मार्च

बुलढाणा, 17 सितंबर . बोधगया महाबोधि महाविहार आंदोलन के संस्थापक भंते अनागारिक धम्मपाल और ईवी रामास्वामी पेरियार की जयंती के अवसर पर वंचित बहुजन आघाड़ी और भारतीय बौद्ध महासभा ने बुलढाणा के जिला कलेक्टर कार्यालय पर एक विशाल जनाक्रोश मोर्चा निकाला.

इस मार्च का उद्देश्य बोधगया महाबोधि महाविहार के प्रबंधन को बौद्ध समुदाय को सौंपने और डॉ. भीमराव आंबेडकर की विचारधारा के अनुरूप स्मारकों के संचालन की मांग को बुलंद करना था.

प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि बोधगया महाबोधि महाविहार का प्रबंधन पूर्णतः बौद्ध समुदाय को सौंपा जाए.

उनका कहना है कि वर्तमान बोधगया मंदिर अधिनियम 1949 संविधान के अनुच्छेद 25, 26 और 13 का उल्लंघन करता है.

इसके अतिरिक्त, उन्होंने डॉ. आंबेडकर को महाविहार के प्रबंधन में स्थायी स्थान देने की मांग की. मार्च में शामिल संगठनों ने यह भी मांग की कि Madhya Pradesh के महू में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के जन्मस्थान पर बने स्मारक का प्रबंधन बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया को सौंपा जाए.

उनका आरोप है कि वर्तमान में इस स्मारक का संचालन आंबेडकर की विचारधारा के खिलाफ हो रहा है.

साथ ही, नागपुर की दीक्षाभूमि पर अवैध कब्जे को हटाने और इसके प्रबंधन को डॉ. भीमराव आंबेडकर के पुत्र भैयासाहेब आंबेडकर के नाम पर बनी बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया को सौंपने की मांग भी जोरदार तरीके से उठाई गई.

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि दीक्षाभूमि का विरूपण रोका जाना चाहिए और इसका प्रबंधन बौद्ध समुदाय के हवाले किया जाना चाहिए.

इस अवसर पर वंचित बहुजन आघाड़ी, भारतीय बौद्ध महासभा, बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया, समता सैनिक दल और अन्य बौद्ध-अंबेडकरी संगठनों के पदाधिकारी और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में शामिल हुए.

मोर्चे के दौरान जिला कलेक्टर के माध्यम से राज्य के Chief Minister , President और Prime Minister को एक ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें सभी मांगों को विस्तार से उल्लेख किया गया.

आंदोलन में शामिल कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह केवल एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि बौद्ध समुदाय के अधिकारों और आंबेडकर की विचारधारा की रक्षा के लिए एकजुट संघर्ष का प्रतीक है.

उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे.

एकेएस/डीकेपी