लोकसभा चुनाव: बसपा के मुस्लिम दांव से विपक्ष का बिगड़ सकता है खेल

लखनऊ, 26 मार्च . लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के इस बार ज्यादा मुस्लिम उमीदवार उतारने से विपक्ष का सियासी खेल खराब हो सकता है. इस फैसले से सपा-काग्रेस गठबंधन को बसपा कड़ी चुनौती देने जा रही है. सात सीटों पर मुस्लिम वोटों का बंटवारा होने से त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार हैं.

राजनीतिक जानकार बताते हैं कि बसपा ने जो 16 प्रत्याशियों की अपनी पहली सूची जारी की है, जिसमें सात सीटों पर मुस्लिमों को तरजीह देकर इंडिया गठबंधन के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है. हालांकि पार्टी की पहली सूची में कोई महिला उम्मीदवार नहीं है. तीन सुरक्षित सीटों पर भी पार्टी ने अपने प्रत्याशी घोषित किए हैं.

बसपा की इस रणनीति से इंडिया गठबंधन को नुकसान उठाना पड़ सकता है. विधानसभा चुनाव में भी बसपा की रणनीति कुछ ऐसी ही थी. पार्टी भले ही एक सीट पर सिमट गई, लेकिन कई सीटों पर सपा की हार के अंतर से अधिक वोट उसके उम्मीदवारों को मिले थे.

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि पहली सूची में सात मुस्लिम प्रत्याशियों को उतार कर बसपा ने अतीत में पश्चिमी उप्र में सफलता पूर्वक आजमाए गए दलित-मुस्लिम गठजोड़ पर फिर दांव लगाने का इरादा जताया है. वहीं, प्रत्याशियों के चयन में मुस्लिम चेहरों को तरजीह देकर उसने इंडिया गठबंधन की राह मुश्किल करने का संकेत दिया है. अन्य सीटों पर भी विभिन्न जातियों के प्रत्याशी खड़ा कर सोशल इंजीनियरिंग के प्रयोग को विविधता दी है.

बसपा ने जिन 25 सीटों के लिए प्रत्याशी घोषित किए हैं, उनमें से उसने चार सीटें-सहारनपुर, बिजनौर, नगीना व अमरोहा, पिछले लोकसभा चुनाव में जीती थीं. इस बार भी बसपा ने अपना सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला खड़ा करने का प्रयास किया है. उनको सफलता कितनी मिलती है, यह तो आने वाला वक्त बताएगा.

बसपा के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल कहते हैं कि बसपा ने अपने नारे के अनुसार, जितनी जिसकी हिस्सेदारी, उतनी उसकी भागीदारी के मुताबिक यूपी के लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार उतारे हैं. इस पर उनको ही तकलीफ होगी जिसने इस फार्मूले पर उम्मीदवार नहीं उतारे होंगे. विपक्ष को गलत सवाल नहीं उठाने चाहिए. उत्तर प्रदेश में 20 फीसदी मुस्लिम है तो उसी आधार पर टिकट दे रहे हैं. बसपा किसी जाति मजहब में भेदभाव नहीं कर रही है. सपा के लोग भाजपा के साथ मिलकर सामान्य सीट पर अनुसूचित जाति के उम्मीदवार उतारकर बसपा के बेस वोट काटने का काम कर रहे हैं. इंडिया गठबंधन से रालोद, महान दल, संजय चौहान और अपना दल सब गठबंधन तोड़ चुके हैं. विपक्ष के पास कुछ बचा नहीं है. पश्चिम से पूरब तक इनके पास बचा क्या है. पश्चिम मे सबसे ज्यादा वोट बसपा का है. इसी कारण हमारा जनता से गठबंधन है.

ज्ञात हो कि बहुजन समाज पार्टी ने सहारनपुर से माजिद अली, मुरादाबाद से मोहम्मद इरफान सैफी, रामपुर से जीशान खां, संभल से सौलत अली, अमरोहा से मुजाहिद हुसैन,आंवला से आबिद अली, पीलीभीत से अनीस अहमद खां उर्फ फूल बाबू को अपना उम्मीदवार बनाया है.

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